सार
भारतीय सेना में दस महीने के बेहद छोटे कार्यकाल में ढाई साल के जूम ने बड़े-बड़े कारनामे किए थे। मरने से पहले भी उसने बीते सोमवार को लश्कर के दो आतंकियों को जहन्नुम का रास्ता दिखा दिया था।
ट्रेंडिंग डेस्क। आखिरकार मौत से लड़ते-लड़ते भारतीय सेना का असॉल्ट डॉग जूम शहीद हो गया। हालांकि, मरने से पहले बहादुर जूम ने लश्कर के दो आतंकियों को जहन्नुम जरूर पहुंचा दिया था। मगर इस दौरान उनकी गोलियों को शिकार हुए जूम को इलाज के लिए श्रीनगर के एडवांस्ड फील्ड वेटरीनरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहां उसकी सर्जरी हुई, मगर दोपहर करीब 12 बजे उसकी बिगड़ी और तभी उसकी मौत हो गई।
जूम बेल्जियन मेलिनाय ब्रीड का डॉग था और इंडियन आर्मी में स्पेशल ट्रेनिंग लेकर आतंकियों का सफाया करता था। सोमवार को भी वह ऐसे ही मिशन पर था, जब अनंतनाग में एक घर में छिपे लश्कर के दो आतंकियों ने उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। फायरिंग में जूम को दो गोली लगी थी, मगर उसने अपना काम कर दिया था और आतंकियों को जहन्नुम का रास्ता दिखा दिया था।
मुठभेड़ खत्म होते ही उसे श्रीनगर के 54 एडवांस्ड फील्ड वेटरीनरी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। यहां उसकी सर्जरी हुई थी। चिनॉर कॉर्प्स ने उसकी हालत बयां करते हुए उसकी बहादुरी बताई और उसके लिए लोगों से प्रार्थना करने को कहा था। इसके बाद देशभर में जूम को बचाने के लिए प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया था, मगर गोलियों ने उसे काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा दिया था। उसे भारतीय सेना में करीब दस महीने पहले उसे उत्तरी कमांड में 15वें कॉर्प्स में आतंकियों से लड़ने के लिए तैनात किया गया था।
ढाई साल के जूम के चेहरे और पिछले पैर पर गोली लगी थी। चेहरे वाली गोली की वजह से उसे नुकसान बहुत हुआ था। खास बात यह है कि सेना के तमाम अभियानों का हिस्सा रहा जूम इस गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके बाद भी वह उन आतंकियों से जूझता रहा और अपना काम पूरा करने के बाद ही बाहर आया। इस मुठभेड़ में लश्कर के दोनों आतंकी मारे गए।
घायल जूम को इलाज के लिए सेना के पशु चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। सेना के अधिकारियों के अनुसार, जूम को आतंकियों को खोजने, उन्हें पहचानने, हमला करने और उन्हें मार डालने तक की खास ट्रेनिंग दी गई थी। वह पहले भी कई मुठभेड़ में अपनी बहादुरी साबित कर चुका था। इससे पहले, बीते 31 जुलाई को एक ऐसे ही मुठभेड़ में सेना के आर्मी डॉग एक्सेल की मौत हो गई थी। वह बारामूला के वानीगाम में सुरक्षा बलों के साथ एक घर में छिपे आतंकियों को खोजने के अभियान में शामिल था।
एक्सेल की पीठ पर कैमरा बांधा गया था और उसके जरिए आगे की मूवमेंट और जरूरी जानकारियां सेना को मिल रही थीं। मगर तभी आतंकियों ने एक्सेल पर टारगेट करके फायरिंग की और तीन गोलियां लगने की वजह से एक्सेल शहीद हो गया था। मरणोपरांत उसे वीरता अवॉर्ड मेंशन इन डिस्पेचेस से सम्मानित किया गया।
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