सार
स्कूल के बाद बस स्टैंड पर फल बेचने वाले एक छोटे बच्चे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो देखकर नेटिज़न्स ने बच्चे की मेहनत की सराहना की है।
रायचूर: 'फल चाहिए क्या सर' ऐसा कहते हुए सिर पर टोकरी रखकर फल बेचने वाला 10 साल का बच्चा आपको रायचूर जिले के लिंगसुगुर कस्बे के बस स्टैंड पर दिख जाएगा। फटाफट बोलते हुए, हाथ में सीताफल काटकर उसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर ग्राहकों को देता है। इसके पास रखे फलों से ज़्यादा मीठी इसकी बातें होती हैं। ऐसा नहीं है कि यह बच्चा बाल मज़दूर है। स्कूल से आने के बाद और होमवर्क पूरा करने के बाद ही यह व्यापार में लगता है। यानी अपनी माँ की व्यापार में मदद करने आता है यह आकाश। फ़िलहाल आकाश द्वारा सीताफल बेचने का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है।
सरकारी स्कूल के बच्चों का जीवन केवल पढ़ाई-लिखाई और खेलने तक ही सीमित नहीं होता। इन छोटे-छोटे बच्चों पर कई ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। स्कूल से आते ही माता-पिता के काम में हाथ बँटाकर परिवार की मदद करते हैं। इतना सब करने के बाद भी पढ़ाई में भी हमेशा आगे रहते हैं। ग्रामीण इलाकों के कई बच्चे स्कूल जाने से पहले ही घर का आधा काम निपटा लेते हैं। स्कूल से लौटने के बाद भी काम करते रहते हैं। इन बातों का जीता-जागता उदाहरण है 4th क्लास का आकाश। 'ज़िंदगी ऐसे भी होती है' शीर्षक के साथ आकाश का फल बेचते हुए वीडियो वायरल हो गया है।
कन्नडिगा देवराज (@sgowda79) एक्स अकाउंट पर यह वीडियो शेयर किया गया है। इसमें लिखा है कि सरकारी स्कूल में 4th क्लास में पढ़ने वाला आकाश रोज़ाना स्कूल से आने के बाद अपना होमवर्क पूरा करके लिंगसुगुर तालुका के KSRTC बस स्टैंड पर फल बेचता है और उससे हुई कमाई से किराए के घर का किराया देता है।
वायरल वीडियो
एक व्यक्ति पूछता है कि तुम्हारा नाम क्या है? कौन सी क्लास में हो? इस पर बच्चा आकाश बताता है कि मैं सरकारी स्कूल में 4th क्लास में पढ़ता हूँ। ये फल हमारे ही हैं, स्कूल से आकर अब बेचने आया हूँ। सुबह हमारी माँ खरीद कर लाती हैं। मेरी माँ भी यहीं काम करती हैं। 10 रुपये में 3, 20 में 7 फल बेचता हूँ, इतना बताते ही वह व्यक्ति पूछता है कि फिर कितना मुनाफा कमा लेते हो? इस पर आकाश कहता है कि मैं कोई मुनाफा नहीं लेता हूँ, सारे पैसे अपनी मम्मी को दे देता हूँ। मुझे किताबें वगैरह सब हमारी मम्मी ही दिलाती हैं। इसलिए सारे पैसे मम्मी को दे देता हूँ।
घंटाघर के पास हम किराए के घर में रहते हैं। घर में मैं, मेरा भाई, माँ और पापा रहते हैं। हिंदी, गणित, पर्यावरण और कन्नड़ में होमवर्क मिला था। उसे पूरा करके आया हूँ, ऐसा बच्चा आकाश बताता है। इस वीडियो को 2 हज़ार से ज़्यादा व्यूज़ मिल चुके हैं। वीडियो देखकर नेटिज़न्स ने कमेंट किया है कि कर्नाटक के बच्चों की ज़िंदगी ऐसी ही होती है।