सार
शिवाजी की हर तस्वीर में उनके हाथ में तलवार देखने को मिलती है। दावा किया जाता है कि उनकी तलवार पर दस हीरे जड़े थे। यह तलवार इस समय लंदन में है। उनकी यह तलवार प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कोल्हापुर के महाराज ने बतौर उपहार दी थी।
नई दिल्ली। शिवाजी महाराज का परिचय बेखौफ, पराक्रमी, न्यायप्रिय और कुशल राजा के तौर पर दिया जाता रहा है। ये सभी शब्द उनके नाम के पर्याय कहे जाएं तो गलत नहीं होगा। वह कई कलाओं में पारंगत थे। युद्ध एवं राजनीति की दीक्षा उन्हें शुरुआत से दी गई थी, जो उन्हें कुशल राजा बनने में मददगार साबित हुआ। सरकारी रिकॉर्ड में उनका जन्म शिवनेर दुर्ग में 19 फरवरी 1630 को हुआ था। उनकी वीरता, शौर्य और जीवन से जुड़े तमाम किस्से चर्चित हैं, जो आज भी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
शिवाजी की खास बात यह थी कि वे सेना और प्रजा दोनों प्रति बराबर सजग रहते थे। वे दूसरे राजाओं की तरह अपने सैनिकों को निजी हथियार नहीं दिए हुए थे। उनका मानना था कि सेना को निजी हथियार नहीं दिए जाएंगे, तो बिना वजह आम प्रजा को नुकसान नहीं पहुंचेगा। उनका सोचना था कि शत्रु राज्य से लूटा गया सामान खजाने में जमा होगा और धार्मिक स्थल तथा उससे जुड़ी चीजों को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।
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रत्नजड़ित है जगदंबा तलवार
शिवाजी की हर तस्वीर में उनके हाथ में तलवार देखने को मिलती है। दावा किया जाता है कि उनकी तलवार पर दस हीरे जड़े थे। यह तलवार इस समय लंदन में है। उनकी यह तलवार प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा के दौरान कोल्हापुर के महाराज ने बतौर उपहार दी थी। हालांकि, इसके बाद कभी इस तलवार को भारत लाने की कोशिश नहीं की गई।
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इंग्लैंड के म्यूजियम में रखी है
शिवाजी के पास तीन तलवारें थीं। इनके नाम थे भवानी, जगदंबा और तुलजा। इंग्लैंड के म्यूजियम में जगदंबा तलवार रखी है। वहीं, भवानी और तुलजा तलवार करीब 200 साल से गुम है। इन तलवारों की खोजबीन और जगदंबा तलवार को भारत लाने का प्रयास लंबे समय से चल रहा है। वहीं, महाराष्ट्र के प्रोफेसर नामदेव राव जाधव ने भवानी तलवार की एक प्रतिकृति तैयार कराई है। इसे बनाने में करीब चार लाख रुपए खर्च आया था।
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तलवार को लेकर काफी भ्रम फैलाया गया
हालांकि, भवानी तलवार के संबंध में देश में काफी भ्रम फैलाया गया है कि यह तलवार इंग्लैंड के संग्राहलय में रखी है। दरअसल, माना जाता है कि इंग्लैंड के संग्राहलय में रखी तलवार का नाम भवानी है। 7 मार्च 1959 को शिवाजी कोंकण गए हुए थे। तब उनके सैनिक अंबाजी सावंत ने एक स्पेनी जहाज पर आक्रमण किया। यहां से उन्हें पुर्तगाल के सेनापति डिओग फर्नांडिस की एक तलवार मिली। 16 मार्च 1959 को महाशिरात्रि का दिन था। शिवाजी सप्तकोटेश्वर मंदिर में दर्शन करने गए थे। यहीं पर अंबाजी के बेटे कृष्णा ने शिवाजी को तलवार भेंट की। शिवाजी को तलवार काफी पंसद आई। तब के मुताबिक तलवार के बदले शिवाजी ने आज के 7 करोड़ 20 लाख रुपए मूल्य के तीन सौ सोने के सिक्के दिए थे। वहीं, तुलजा तलवार उन्हें जेजुरी से उपहार में मिली थी।
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स्पेन के राजा को दिया गया टेंडर
भवानी तलवार से प्रभावित शिवाजी ने अपने सैनिकों को लड़ने के लिए इस जैसी तलवारें बनवाकर दी। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा निकाली गई और हजारों तलवारों के ऑर्डर दिए गए। इसकी लंबाई करीब साढ़े चार फीट थी। इसे पूरा करने के लिए अंग्रेजों, फ्रांसीसि, पुर्तगाल और डच सरकार के अलावा स्पेन के राजा ने भी टेंडर डाले। बनाने का ऑर्डर स्पेन को मिला। स्पेन के टोलेडो शहर में इनका निर्माण किया गया।
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तलवार खोजने वाले को 72 करोड़ का ईनाम
इस ऑर्डर से स्पेन के राजा खुश हुए। उन्होंने इसके बदले में शिवाजी को ऐसी ही रत्न और माणिक्य जड़ित तलवार भेंट की। इस तलवार को ही जगदंबा नाम दिया गया। जगदंबा तलवार ही इंग्लैंड के म्यूजियम में रखी गई है। इस तलवार को कई बार भवानी कहकर भ्रम फैलाया गया। मगर असली भवानी तलवार आज कहां किसके पास है, यह कोई नहीं जानता। वैसे शिवाजी फाउंडेशन की ओर से ऐलान किया गया है कि जिसके पास भी भवानी तलवार है, वह लौटा दे। तलवार लौटाने वाले को 72 करोड़ रुपए का ईनाम दिया जाएगा। इसके लिए इस राशि का चंदा भी एकत्रित करके अलग रखा गया है।