सार

भारत की एक लड़की ने हॉवर्ड स्कूल में पढ़ाई के दौरान पाकिस्तानी लड़की से दोस्ती से जुड़ी कुछ बातें सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। उसकी इस पोस्ट को अब तक 42 हजार से अधिक लोगों ने पसंद किया है। 

ट्रेंडिंग डेस्क। 15 अगस्त 1947 से पहले भारत और पाकिस्तान एक ही देश हुआ करता था। दोनों देश के लोग मिलकर साथ रहते थे। मगर कुछ लोगों की साजिशों की वजह से पहले यह दो टुकड़ों में बंटा इसके बाद दोनों देश के लोग आपस में दुश्मन बन गए। हालांकि, दोनों ही देशों के बहुत से नागरिकों की नीयत खराब नहीं है और बहुत से  लोग चाहते हैं कि अब भी साथ मिलकर रहा जाए। 

बहरहाल, अर्ली स्टेप्स एकेडमी के सीईओ ने सोशल मीडिया पर एक प्यारी सी पोस्ट शेयर की है, जिसने यूजर्स का दिल जीत लिया है और यह पोस्ट इन्हीं दोनों मुल्कों की दो लड़कियों की आपस में हुई दोस्ती और उससे जुड़े रोचक किस्सों को लेकर है। अर्ली स्टेप्स एकेडमी के सीईओ की पोस्ट भारतीय लड़की स्नेहा बिस्वास के लिंक्डइन प्रोफाइल पर शेयर की गई उसकी रियल स्टोरी को लेकर है। दरअसल, स्नेहा बिस्वास की लिंक्डइन पोस्ट ने दोस्ती का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिसने दो मुल्कों की सभी बाधाओं को तोड़ दिया।  

'क्रिकेट, हिस्ट्री और मीडिया के आगे भी पाकिस्तान के बारे में जाना
बिस्वास ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की अपनी एक क्लासमेट यानी सहपाठी के बारे में लिखा है, जो पाकिस्तानी नागरिक है। दोस्ती की इस खूबसूरत कहानी की यूजर्स तारीफ कर रहे हैं। पोस्ट में बिस्वास और पाकिस्तान की उसकी दोस्त के बीच बढ़ती दोस्ती का सिलसिलेवार विवरण भी दिया गया है।स्नेहा ने अपनी पोस्ट में लिखा, मैं भारत के एक छोटे से शहर में पली-बढ़ी। पाकिस्तान के बारे में मेरा ज्ञान क्रिकेट, इतिहास की किताबों और मीडिया तक ही सीमित था। यह सभी प्रतिद्वंद्विता और घृणा के इर्द-गिर्द घूमते रहे। दशकों बाद पढ़ाई के दौरान मैं इस लड़की से मिली। वह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की रहने वाली हैं। मैं उससे पहले दिन हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में मिली थी। हमें एकदूसरे को पसंद करने में महज 5 सेकंड का समय लगा। पहले सेमेस्टर के अंत तक वह कैंपस में मेरी सबसे करीबी दोस्तों में से एक बन गई। 

पाकिस्तानी दोस्त का बैकग्राउंड रूढ़िवादी, मगर माता-पिता ने किया सहयोग 
कई बार चाय का दौर चला। साथ बिरयानी खाई। वित्तीय मॉडल और केस स्टडी की तैयारी के दौरान हम एकदूसरे को और बेहतर तरीके से जानने लगे थे। स्नेहा ने अपनी पाकिस्तानी दोस्त के बारे में आगे लिखा, वह पाकिस्तान में एक रूढ़िवादी बैकग्राउंड से आती थी। हालांकि, उसे और उसकी बहन को आगे बढ़ने माता-पिता हमेशा सहयोगी रहे और सारे बंधनों को तोड़कर विदेश में पढ़ने के लिए भेजा। मेरी पाकिस्तानी दोस्त की निडर महत्वाकांक्षाओं और साहसिक विकल्पों की रियल स्टोरी ने मुझे आगे बढ़ने और पाकिस्तान के प्रति मेरा नजरिया बदलने को प्रेरित किया है। दोनों दोस्त अपने-अपने देश का झंडा पकड़े हुए फोटो भी ली, जिसे स्नेहा ने इस पोस्ट के साथ शेयर भी किया है। स्नेहा की इस पोस्ट को अब तक करीब 42 हजार से अधिक लोगों ने पसंद किया हे, जबकि बहुत से यूजर्स ने उसकी पोस्ट की तारीफ की है। 

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