जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन के नजदीक एक मुस्लिम महिला ने बुर्कानशीं से हिंदू से शादी और बुर्का पहनने पर सवाल उठाए। इस बहस ने महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ महिला ही विलेन बनने की बात को उजागर किया है। 

Burqa Clad Woman Started Teaching Islam In The Metro: जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन पर हाल ही में एक मुस्लिम महिला और एक बुर्का पहने महिला के बीच निकाह को लेकर विवाद हो गया। एक बुर्कानशीं महिला से दूसरी मुस्लिम महिला इस बात पर लड़ पड़ी कि उसने एक हिंदू लड़के से क्यों शादी की। दूसरी महिला लगातार ये सवाल उठाती रही की हिंदू पुरुष से शादी करने के बाद वो बुर्का पहनना बंद क्यों नहीं कर रही। मेट्रो में हो रही इस बहस को हिंदू पति ने कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन विवाद करने वाली महिला कहती रही, तुम बीच में मत बोलो, हमारे धर्म का मामला है। तुम इसमें दखलअंदाजी नहीं कर सकते हो। दोनों महिलाओं के बीच काफी देर तक जुबानी जंग चलती रही, जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन की यह घटना सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है। 

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मुस्लिम महिला क्या नहीं कर सकती अपनी मर्जी से शादी


मुस्लिम महिला के हिंदू से शादी करने के इस मुद्दे ने धर्म के साथ सामाजिक रीति-रिवाज और महिला अधिकारों के बीच टकराव को उजागर किया है। मुस्लिम औरत ने दूसरी बुर्कानशीं महिला के अपनी पसंद की शादी करने पर सीधा हमला बोला है। वहीं दूसरी महिला ने अपनी निजी पसंद और जीवन के फैसलों का बचाव करते हुए मुकाबला किया। पब्लिक प्लेस पर हुई ये घटना दिखाती है कि आज भी एक समुदाय के लोग अपने धर्म को लेकर कितने कट्टर हैं। वे इसके लिए सार्वजनिक लड़ाई लड़ने को भी तैयार हैं।

पब्लिक प्लेस पर क्यों किया जा रहा मुस्लिम महिलाओं को अपमानित

सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर खासी बहस छिड़ गई है। कई लोगों ने इसे अपनी सोच को दूसरे पर थोपने वाला बताया है। वहीं कई यूजर्स ने मुस्लिम महिला को ट्रोल करते हुए कहा कि उसे किसी के पर्सनल लाइफ में दखल देने का कोई हक नहीं है। क्या वो उन मुस्लिम युवकों को भी समझा सकती है, जो नकली नाम रखकर हिंदू लड़कियों को बरगलाते हैं। फिर उनसे निकाह करके धर्म बदलने का दवाब बनाते हैं।

यूजर्स ने लगाई कट्टरवादियों की क्लास

सोशल मीडिया यूजर्स का मानना है कि यह घटना भारत में बढ़ते कट्टरवाद को दिखाती है, पहले ऐसे मुद्दे पर महिलाएं दखल नहीं देती थी। घर- परिवार के लोग ही इस पर अपना विरोध दर्ज कराते थे। लेकिन अब सार्वजनिक तौर खिलाफत की जाने लगी है, इससे पहली से डरी सहमी रहने वाली मुस्लिम महिलाओं को और भी पीछे धकेल देगी। ऐसे तो वे कभी अपने मन के फैसले नहीं कर पाएंगी।

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