सार
जलियांवाला बाग कांड में अंग्रेजों द्वारा किया नरसंहार का बदला लेने वाले सरदार उधम सिंह की आज पुण्यतिथि। 31 जुलाई वही दिन है जब उन्हें फांसी दी गई थी। आज हम आपको उनके जीवन और स्वतंत्रता सेनानी बनने की कहानी से रुबरू कराएंगे।
Udham Singh Death Anniversary: सरदार उधम सिंह भारतीय इतिहास का वो नाम जिसने अंग्रेजों की कुर्सी को हिलाकर रख दिया था। 26 दिसबंर 1899 को पंजाब के छोटे से गांव सुनाम में जन्मे उधम सिंह के बलिदान की कहानी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है। 31 जुलाई के दिन उन्हें फांसी दी गई थी। आज भारत के इस सपूत को हर कोई नमन कर रहा है। जिसने जलियांवाला बाग कांड का बदला लिया और देश की मिट्टी के लिए खुद के प्राण न्यौछावर कर दिए।
भगत सिंह को गुरू मानते थे उधम सिंह
पंजाब में जन्मे उधम सिंह के पित रेलवे चौकीदार थे। सात साल की उम्र में उधम सिंह अनाथ हो गए। पहले उनके सिर से मां का साया उठा और उसके छह साल बाद पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उधम को शेर सिंह के नाम से भी जाना जाता था। उनका भाई भी था जिसका नाम मुख्ता सिंह था। अनाथ होने पर दोनों भाइयों को अमृतसर के सेंट्रल खालसा अनाथालय में भेज दिया गया। यहां पर दोनों का नया नाम मिला। शेर सिंह अब उधम सिंह बन चुका था। मुख्ता सिंह साधु सिंह। इसके बााद उन्होंने पढ़ाई में ध्यान लगाया। 1918 आते-आते उधम ने मेट्रिक का एग्जाम पास कर लिया। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया।
जलियांवाला कांड के बाद ली बदले प्रतिज्ञा
1919 में देश को झकझोर देने वाली घटना घटित हुई। रॉलेर एक्ट के तहत कांग्रेस के सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को अंग्रेजों द्वारा अरेस्ट करने के बाद पंजाब के अमृतसर में हजारों की तादाद में लोग एक पार्क में जमा हुए थे। इन लोगों का उद्देश्य शांतिपूर्ण प्रदर्शन था। हालांकि जनरल रेजिनाल्ड डायर ने सेना को बेकसूरों पर गोली चलाने का आदेश दिया। इस नरसंहार में पंजाब के गर्वनर रहे माइकल ओ डायर ने भी साथ दिया था। इस नरसंहार को जलियांवाला बाग हत्याकांड का नाम दिया। उधम सिंह इसके साक्षी थे। इसके बाद उधम सिंह ने स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने में और रेजिनाल्ड डायर और माइकल डायर से बदला लेने की प्रतिज्ञा ली थी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड का लिया बदला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उधम सिंह ने अकेले जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया था। उन्होंने नरसंहार का बदला लेने की ठानी। सरदार उधम सिंह 13 मार्च 1940 को माइकल ओ डायर लंदन के कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और सेंट्रल एशियन सोसाइटी की बैठक में थे। पसिसर में उधम सिंह एक किताब में छिपाकर रिवॉल्वर लेकर आए ।बैठक खत्म होने के बाद उधम सिंह ने मौका देखते हुए डायर को गोलियो से छलनी कर दिया और डायर की मौके पर मौत हो गई।
पाए गए हत्या के दोषी, मिली फांसी की सजा
हत्या के बाद उधम सिंह भागने की फिराक में थे हालांकि उनकी ये कोशिश नकाम रही। इसके बाद उनपर मुकदमा चला और 4 जून 1940 को उन्हें माइकल ओ डायर की हत्या का दोषी ठहराया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। 31 जुलाई को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। इस तरह आजादी की लड़ाई में अपना योगजदान देने वाले और जलियांवाला बाग कांड में बेकूसरों की हत्या का बदला उधम सिंह ने लिया और वह भारत के आजादी की लड़ाई में हमेशा के लिए अमर हो गए। बता सरदार उधम सिंह की जीवनी पर 2021 में फिल्म भी बनी थी। जिसमें विक्की कौशल मुख्य किरदार में नजर आए थे।