बीमारी जब भी आए, वीक ऑफ पर ही आनी चाहिए, सिक लीव नहीं मिलेगी! एक कर्मचारी ने अपना दर्द बयां किया है. बॉस का कहना है कि दो लोग एक साथ छुट्टी नहीं ले सकते, चाहे वह सिक लीव हो या इमरजेंसी. इसके साथ ही कुछ और भी शर्तें हैं.

कॉर्पोरेट समेत कई सेक्टरों में काम के माहौल को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है. कई लोगों ने एक छुट्टी के लिए संघर्ष करने की अपनी कहानियाँ शेयर की हैं. अब एक कर्मचारी ने अपने बॉस को लेकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है. तेज़ बुखार होने के बावजूद, बॉस ने सिक लीव देने से मना कर दिया. कर्मचारी ने रेडिट पर अपना गुस्सा और दर्द ज़ाहिर करते हुए कहा कि मेरे जैसे कई कर्मचारियों को इमरजेंसी छुट्टी न देकर परेशान किया जाता है. बॉस दिसंबर, जनवरी और फरवरी में कोई भी छुट्टी न लेने का निर्देश देते हैं, लेकिन खुद न्यू ईयर और वेकेशन के नाम पर छुट्टी पर चले जाते हैं. कर्मचारी ने कहा कि यहाँ कोई भी बीमारी हो, उसे हफ्ते की छुट्टी में ही निपटाना होता है. बाकी दिनों में बुखार आने पर कोई छुट्टी नहीं है, सिर्फ काम है.

सिक लीव देने से मना करने का क्या कारण बताया?

एक कॉर्पोरेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने यह जानकारी रेडिट पर शेयर की है. उन्होंने लिखा, "मैं एक MNC में काम करता हूँ. मेरी महिला मैनेजर का व्यवहार और उनके निर्देश काम का माहौल बिगाड़ देते हैं. इस टॉक्सिक बॉस ने मेरी सिक लीव नामंज़ूर कर दी. कारण बताया कि दो लोग एक ही दिन छुट्टी नहीं ले सकते. एक छुट्टी लेने के लिए हमें भीख मांगनी पड़ती है. पहले एक कर्मचारी के पिता अस्पताल में भर्ती थे. उनकी हालत गंभीर होने के कारण उन्हें ICU में रखा गया था, लेकिन बिज़नेस, टारगेट और डेडलाइन का हवाला देकर उस कर्मचारी को छुट्टी देने से मना कर दिया गया था. ऑफिस में एक नियम बनाया गया है कि कोई भी कर्मचारी दिसंबर, जनवरी और फरवरी में छुट्टी नहीं ले सकता. लेकिन महिला बॉस दिसंबर में वेकेशन और न्यू ईयर के नाम पर खुद छुट्टी ले लेती हैं."

हजारों कारण बताकर कहते हैं कि तुम्हें बिज़नेस नहीं पता

कर्मचारी ने आगे लिखा, "मैं तेज़ बुखार से पीड़ित हूँ. सिरदर्द और बदन दर्द के कारण काम नहीं कर पा रहा हूँ. सिक लीव मांगने पर वह हज़ारों कारण बता रही हैं. बॉस ने कहा, 'तुम्हें सिर्फ सैलरी गिनना आता है, यह पैसा कहाँ से आता है, बिज़नेस क्या है, यह सब तुम्हें नहीं पता.' उन्होंने दिसंबर के पहले हफ्ते में ही पीएल (PL) खत्म करने को कहा था और अब कह रही हैं कि सिक लीव नहीं है. मैं क्या करूँ?"

लोगों ने कहा- ऐसी टॉक्सिक कंपनियों के नाम बताओ

इस पोस्ट पर कई लोगों ने सलाह दी कि ऐसे टॉक्सिक माहौल वाली कंपनियों के नाम या उनके बारे में हिंट देना बेहतर है. इससे दूसरे कर्मचारी ऐसी कंपनियों से दूर रह सकते हैं. इससे कंपनी को भर्ती में समस्या होगी और कंपनी को नुकसान होगा. कई लोगों ने यह भी कहा कि इस तरह की बातें बताते समय सच्चाई और स्पष्टता भी ज़रूरी है. कुछ ने ऐसी कंपनी में काम न करने और दूसरी नौकरी ढूंढने की सलाह दी. लोगों ने यह भी कहा कि भारत में कर्मचारियों से बंधुआ मज़दूरों की तरह काम लिया जाता है. कंपनियों को एक अच्छा माहौल बनाना सीखना चाहिए.