सार

हिंडनबर्ग हादसे से प्रभावित होकर इस कंपनी का नाम रखा गया था। इसका मकसद है कि हिंडनबर्ग की तरह ही शेयर मार्केट में लाभ कमाने के लिए होने वाली गड़बड़ियों पर नजर रखकर पोल खोलना था। जिससे शेयर मार्केट में घोटालों के कारण होने वाले क्रैश को रोका जा सके।

 

ट्रेंडिंग डेस्क : 25 जनवरी को अडाणी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों पर एक रिपोर्ट जारी कर अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) एक बार फिर से चर्चा में आ गई है। इस रिपोर्ट के सामने आते ही अडाणी के शेयरों की प्राइज करीब 4 लाख करोड़ रुपए नीचे आ गई। दुनिया की अमीरों की लिस्ट में गौतम अडाणी (Gautam Adani)तीसरे से सातवें स्थान पर खिसक गए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब हिंडनबर्ग ने किसी कंपनी के बारें में ऐसी रिपोर्ट जारी की है। इससे पहले भी उसकी रिपोर्ट से एक बड़ी कंपनी कंगाल हो चुकी है और कुछ और कंपनियों पर असर हुआ है। आइए जानते हैं कि आखिर हिंडनबर्ग कंपनी क्या काम करती है, इसका मालिक कौन है और इसका नाम कैसे पड़ा?

हिंडनबर्ग का मालिक कौन है

हिंडनबर्ग कंपनी के मालिक का नाम नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) है। अमेरिका के कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएशन कंप्लीट करने के बाद एंडरसन ने एक डेटा रिसर्च कंपनी में जॉब शुरू की। यहां पैसों के इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट से जुड़े काम होते थे। नौकरी करते-करते एंडरसन ने डेटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को अच्छी तरह समझा। जहां उन्हें पता चला कि शेयर मार्केट ही दुनिया के सबसे बड़े बिजनेसमैन का सबसे बड़ा अड्डा है। यहीं से एंडरसन के दिमाग में फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी स्टार्ट करने का आइडिया आया और साल 2017 में ‘हिंडनबर्ग’ कंपनी की नींव पड़ी।

प्लेन क्रैश हादसे पर कंपनी का नाम

हिंडनबर्ग एक दर्दनाक हादसा था, जिस पर कंपनी का नाम रखा गया है। दरअसल, 6 मई 1937 को अमेरिका के मैनचेस्टर के पास हिंडनबर्ग नाम का एक जर्मन एयर स्पेसशिप उड़ान भरते वक्त हवा में ही क्रैश हो गया था। यह हादसा इतना भयानक था कि इसमें 35 लोगों की मौत हो गई थी। नाथन एंडरसन को इस हादसे ने गहरा आघात पहुंचाया। उनका मानना है कि स्पेसशिप कंपनी पहले की घटनाओं से सीखकर अगर काम लेती तो यह हादसा टल सकता था। इस हादसे का इतना असर एंडरसन पर हुआ कि उन्होंने अपनी कंपनी का नाम ‘हिंडनबर्ग’ रखा। इस नाम के पीछे का मकसद था कि हिंडनबर्ग की तरह ही शेयर मार्केट में लाभ कमाने के लिए होने वाली गड़बड़ियों पर नजर रखकर पोल खोलना था। जिससे शेयर मार्केट में घोटालों के कारण होने वाले क्रैश को रोका जा सके।

हिंडनबर्ग कंपनी का काम

हिंडनबर्ग कंपनी शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करती है। इस रिसर्च के जरिए कंपनी पता लगाने की कोशिश करती है कि शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है। कहीं बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो करने की कोशिश नहीं कर रहीं। कोई कंपनी अपने फायदे के लिए दूसरी कंपनियों के शेयर को नुकसान तो नहीं पहुंचा रही है। इस तरह रिसर्च करने के बाद हिंडनबर्ग एक रिपोर्ट पेश करती है। जिसका असर दुनियाभर के शेयर मार्केट पर पड़ता है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से कंपनी कंगाल

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट एक कंपनी को कंगाल भी कर चुकी है। साल 2020 की बात है, जब इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली अमेरिकी कंपनी निकोला के शेयरों की कीमत तेजी से उछाल देखने को मिल रहा था। तभी सितंबर में इस कंपनी को लेकर हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी कर दी। इसका असर यह हुआ कि कंपनी के शेयर 80% तक टूट गए थे। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि निकोला ने अपनी कंपनी और गाड़ियों को लेकर निवेशकों को गलत जानकारी दी। इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका के सिक्योरिटी और एक्सचेंज कमीशन ने निकोला के मालिक पर फ्रॉड का केस चलाया और दोषी पाए जाने के बाद निकोला के मालिक ट्रेवोर मिल्टन को 1 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया। जून 2020 में जिस निकोला कंपनी की वैल्यूएशन 2.77 लाख करोड़ रुपए थी, वह कुछ ही दिनों में 11 हजार करोड़ रुपए पर आ गई थी।

इन कंपनियों पर भी खुलासा कर चुकी है हिंडनबर्ग

2016 - अमेरिकी कंपनी RD लीगल

2017 - अमेरिकी कंपनी पर्शिंग गोल्ड

2017 - अमेरिकी कंपनी ओपको हेल्थ

2017 - अमेरिकी कंपनी रॉयट ब्लॉकचेन

2018 - कनाडा की कंपनी एफ्रिया

2019 - अमेरिकी कंपनी ब्लूम एनर्जी

2020 - अमेरिकी कंपनी एचएफ फूड्स

2020 - अमेरिकी कंपनी निकोला

2022 - अमेरिकी कंपनी ट्विटर

2023 - इंडियन कंपनी अडाणी ग्रुप

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