सार

यह हैं ओडिशा के भुवनेश्वर में जन्मीं 2 साल 5 महीने की अन्‍वी अग्रवाल  (Anvi Agarwal)। 117 बेमिसाल पेंटिंग्स बनाने के कारण इनका नाम 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड'  में दर्ज हुआ है। अन्वी ने अपनी फैमिली के साथ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक(Naveen Patnaik) से मिलीं। मुख्यमंत्री ने उन्हें गिफ्ट दिया।

भुवनेश्वर. बच्चे जन्मजात प्रतिभाशाली होते हैं। सब बच्चों में कोई न कोई हुनर होता है। यह अलग बात है कि अलग-अलग उम्र में यह परवान चढ़ता है। यह हैं ओडिशा के भुवनेश्वर में जन्मीं 2 साल 5 महीने की अन्‍वी अग्रवाल  (Anvi Agarwal)। 117 बेमिसाल पेंटिंग्स बनाने के कारण इनका नाम 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड' में दर्ज हुआ है। अन्वी अपनी फैमिली के साथ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक(Naveen Patnaik) से मिलीं। मुख्यमंत्री ने उन्हें गिफ्ट दिया।

खाने-पीने की चीजों से बना देती हैं पेंटिंग
अन्वी खाने-पीने की चीजों से खेलते-खेलते पेंटिंग्स बना देती थीं। बेबी अन्वी को नॉन ब्रश पेंटिंग पसंद है। यानी बिना ब्रश का इस्तेमाल किए। जब ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अन्वी से मुलाकात की, तो वे बहुत प्रभावित हुए। मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने ऑटोग्राफ वाले चित्र के साथ आशीर्वाद दिया। अन्वी ने 37 अलग-अलग तकनीकों के साथ 72 पेंटिंग्स भी बनाई हैं। अन्वी स्याही, मोल्ड, एक्रिलिक और पानी के रंग से पेंट करती हैं। मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान अन्वी के दादा-दादी भी मौजूद थे।

9 महीने की उम्र से कर रही पेंटिंग
अन्वी की मां अनुराधा डालमिया और पापा विशेष अग्रवाल बताते हैं कि जब अन्वी 9 महीने की थी, तब से वो पेंटिंग करती आ रही है। अनुराधा बताती हैं कि जब अन्वी का जन्म हुआ, तब कोरोनाकाल चल रहा था। लॉकडाउन के चलते कोई बाहर नहीं निकल पा रहा था। इस बीच अन्वी ने खाने-पीने की चीजें जैसे-हल्दी, चुकंदर, केसर, काले अंगूर के साथ खेलते-खेलते पेंटिंग बनाना शुरू कर दी। यह देखकर उन्होंने अन्वी को प्रोत्साहित किया। घर से टेलिविजन निकाल अंदर रख दिया और अन्वी को पेंटिंग से संबंधित किताबें-सामग्री पकड़ा दी। अन्वी के इस हुनर को देखकर दादा महेन्द्र अग्रवाल, दादी मृदुला अग्रवाल, नाना केशव डालमिया, नानी सुमन अग्रवाल एवं पूरा परिवार गर्व करता है। अन्वी के परिजन बताते हैं कि पड़ोसियों ने जब अन्वी की बनाई पेंटिग्स देखीं, तो उन्होंने सुझाव दिया कि बच्ची का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवा सकते हैं। लेकिन वहां से जवाब मिला कि यह रिकॉर्ड दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसके बाद परिजनों ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, लंदन और इंडिया बुक रिकॉर्ड्स से संपर्क किया।

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