सार
रानी मुखर्जी के साथ फिल्म 'मेहंदी' में काम कर चुके एक्टर फराज खान का हाल ही में निधन हो गया। फराज को सुपुर्द-ए-खाक करने के बाद मुंबई लौटे उनके छोटे भाई फहमान खान ने फराज की बीमारी को लेकर एक इंटरव्यू में बात की। फहमान ने बताया कि फराज खान की बीमारी रेयर थी।
मुंबई। 'मेहंदी' और 'फरेब' जैसी फिल्मों में काम कर चुके एक्टर फराज खान (Faraaz Khan) का हाल ही में निधन हो गया। उन्हें सुपुर्द-ए-खाक करने के एक दिन बाद ही उनके भाई फहमान खान शूटिंग के चलते मुंबई लौट आए। फहमान हाल ही में लॉन्च हुए शो 'अपना टाइम आएगा' में डॉ. वीर प्रताप सिंह राजावत का रोल प्ले कर रहे हैं। गुरुवार को फहमान बेंगुलरू से मुंबई लौटे और उसी दिन शूटिंग भी शुरू कर दी। एक एंटरटेनमेंट वेबसाइट से बातचीत में फहमान ने फराज की बीमारी को लेकर बातचीत की। फराज की बॉडी में खत्म हो गई थी इम्युनिटी...
बातचीत में फहमान ने कहा- सच कहूं तो उनकी बीमारी रेयर थी। डॉक्टर्स ने उन्हें बचाने की जी-जान से पूरी कोशिश की। अगर दूसरे वायरस के साथ तुलना करें तो यह बहुत डेडली वायरस नहीं था। डॉक्टर ने हमें बताया कि उनके शरीर में जो बैक्टीरिया था, उसने ऐसे बैक्टीरिया बना लिए थे, जो एंटीबायोटिक देते वक्त बैठ जाते थे।
खत्म हो गई थी इम्युनिटी :
फहमान के मुताबिक, इंसान के शरीर में इम्युनिटी कम से कम 700 होनी चाहिए, लेकिन उनकी इम्युनिटी 23.9 तक गिर गई थी। इसलिए उनकी बॉडी पर कोई एंटीबायोटिक काम नहीं कर रही थी। और यह पिछले कुछ समय से चल रहा था। मुझे मेडिकल टर्म याद नहीं, लेकिन उनके दिमाग में कोई वायरस आ गया था, जिसके चलते उन्हें कई तरह की परेशानी होने लगीं और अंत में उनके शरीर की रोक प्रतिरोधक क्षमता लगभग पूरी तरह खत्म हो गई।
पिछले डेढ़ साल से बीमार थे फराज :
फहमान के मुताबिक, फराज पिछले डेढ़ साल से बीमार थे। शुरुआत में उन्हें टीबी हुआ था। तभी से उनका इलाज चल रहा था। इसी दौरान उनके शरीर में अलग-अलग तरह के बैक्टीरिया का कॉम्बिनेशन हो गया और उनका इम्युनिटी सिस्टम पूरी तरह गड़बड़ा गया।
बेंगलुरू में हुआ अंतिम संस्कार :
फहमान की मानें तो उनकी बीमारी के बाद से ही मैं लगतार अपनी फैमिली के संपर्क में था। जिस दिन सुबह मुझे बताया गया कि उनकी हालत खराब है, उसी रात 9:40 पर मुझे उनके इंतकाल की सूचना मिली। जिस वक्त उन्होंने अंतिम सांस ली, तब मेरा एक और भाई, उनकी पत्नी और मेरे कजिन हॉस्पिटल में ही थे। जब मुझे यह दुखद खबर मिली, तब मैं शूट से घर पहुंचा ही था। अगली सुबह मैं उनके जनाजे में शामिल होने बेंगलुरु पहुंचा।