सार

भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ का व्रत रखा जाता है। इसे मोर छठ या कुछ स्थानों पर सूर्य षष्ठी व्रत भी कहते हैं। इस बार यह व्रत 4 सितंबर, बुधवार को है।

उज्जैन. भविष्योत्तर पुराण के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान, सूर्योपासना, जप एवं व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्य पूजन, गंगा स्नान एवं दर्शन तथा पंचगव्य सेवन से अश्वमेध के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत में नमक रहित भोजन दिन में एक बार ही ग्रहण करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ हो, उन्हें इस दिन ये उपाय करना चाहिए-

1. सुबह सूर्योदय के समय लाल फूल, कुंकुम आदि से सूर्यदेव की पूजा करें। लाल वस्त्र भी अर्पित करें।

2. किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर माणिक रत्न तांबे की अंगूठी में अपनी अनामिका अंगुली में धारण करें।

3. जरूरतमंदों को अपनी इच्छा से गेहूं का दान करें। इससे भी सूर्य के दोष कम होते हैं।

4. लाल चंदन की माला से ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला का जाप करें।

5. सुबह स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।