सार
इस बार 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। इसे हलहारिणी अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का विशेष महत्व हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, इस बार आषाढ़ अमावस्या पर सूर्यग्रहण का योग बन रहा है। ग्रहण का आरंभ सुबह 10.09 से होगा। इसके पहले कुछ विशेष उपाय करने से पितरों की कृपा आप पर बनी रहेगी। इस दिन किए गए उपाय विशेष ही शुभ फल प्रदान करते हैं। ये उपाय बहुत ही आसान हैं। हलहारिणी अमावस्या का महत्व और इस दिन किए जाने वाले उपाय इस प्रकार हैं-
ये है हलहारिणी अमावस्या का महत्व-
हलहारिणी अमावस्या वर्षा ऋतु के प्रारंभ में आती है। वर्षा ऋतु का आरंभ किसानों के लिए भी शुभ संकेत होता है। इसलिए इस समय किसान भी खुशियां मनाते हैं व खेती में काम आने वाली वस्तुओं की पूजा करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। किसानों द्वारा मनाया जाने वाला हलहारिणी अमावस्या का त्योहार इसी का स्वरूप है। यह त्योहार प्रमुख रूप से ग्रामीण अंचलों में किसानों द्वारा मनाया जाता है।
हलहारिणी अमावस्या के उपाय-
1. पितरों को प्रसन्न करने के लिए इस दिन शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए। ऐसा करने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं।
2. अमावस्या पर तालाब या नदी में मछलियों के लिए आटे की गोलियां बनाकर डालना चाहिए। इस उपाय से परेशानियों से राहत मिल सकती है।
3. अमावस्या पर चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
4. हलहारिणी अमावस्या पर किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाएं। इसके बाद मंदिर में ही बैठकर रुद्राक्ष की माला से ऊं नमः शिवायः मंत्र का पाठ करें। ये उपाय करने से जीवन की परेशानियों से राहत मिल सकती है।
5. अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इससे शनि आदि ग्रह दोषों का निवारण होता है।