सार
किस व्यक्ति को खुद का घर मिलेगा और किसे नहीं, इस बात का जवाब कुंडली से मिल सकता है। ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर मालूम हो सकता है व्यक्ति को भूमि-भवन का सुख मिलेगा या नहीं।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार कुंडली के चौथे भाव में या चौथे भाव का स्वामी चर राशि (मेष, कर्क, तुला या मकर) में हो और चौथे भाव का स्वामी शुभ ग्रहों के साथ हो तो ऐसा व्यक्ति कई भवनों में रहता है और उसे अनेक मकान बदलने पड़ते हैं। अगर चर की जगह स्थिर राशि (वृष, सिंह, वृश्चिक या कुंभ) हो तो व्यक्ति के पास स्थाई भवन होते हैं।
1. कुंडली के चौथे भाव का स्वामी (चतुर्थेश) शुभ हो और लग्न भाव का स्वामी, चौथे भाव का स्वामी, दूसरे भाव का स्वामी इन तीनों में से जितने ग्रह केंद्र-त्रिकोण (1, 4, 5, 7, 10वें भाव) भाव में हों, व्यक्ति के उतने घर होते हैं।
2. कुंडली में नवम भाव का स्वामी दूसरे भाव में और दूसरे भाव का स्वामी नवम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय बारहवें वर्ष में होता है। ऐसे व्यक्ति को 32वें साल के बाद वाहन, भवन और नौकर का सुख मिलता है। अब जानिए पं. शास्त्री के अनुसार खुद का घर पाने के लिए कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय सभी राशि के लोग कर सकते हैं...
पहला उपाय
खुद का घर पाने के लिए भगवान विष्णु के कूर्म (कछुआ) स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। विष्णुजी की प्रतिमा के सामने कूर्मदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें। भगवान् को पीले फल, पीले वस्त्र चढ़ाएं। तुलसी दल कूर्मदेव पर रखें। फूल अर्पित करें। भगवान् की आरती करें। आरती के बाद प्रसाद अन्य भक्तों को वितरित करें। पूजा के बाद कूर्मदेव को ले जा कर किसी अलमारी में छिपाकर रख लें। इस प्रयोग से भूमि-संपत्ति प्राप्ति के योग बन सकते हैं।
दूसरा उपाय
रात को सोते समय अपने सिरहाने के पास तांबे के लोटे में जल भरें। उस जल में एक चुटकी रोली, एक छोटी डली गुड की भी डाल दें। सुबह उठकर ये किसी पीपल में डाल दें। यह उपाय नियमित रूप से करते रहने से घर के संबंध में आ रही बाधाएं समाप्त हो जाएंगी।