सार

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी और परिवर्तिनी आदि नामों से जाना जाता है। इस बार ये तिथि 17 सितंबर, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है।

उज्जैन. भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी और परिवर्तिनी आदि नामों से जाना जाता है। इस बार ये तिथि 17 सितंबर, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, शास्त्रों में बताया गया है कि परिवर्तिनी एकादशी पर भगवान विष्णु विश्राम के दौरान करवट लेते हैं। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य नाम का अध्याय है। इस अध्याय में परिवर्तिनी एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। ये उपाय इस प्रकार हैं…

1. परिवर्तिनी एकादशी की सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, फूल, चावल और कुमकुम डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। सूर्य देव के लिए गुड़ का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को या किसी मंदिर में करें।
2. शुक्रवार और एकादशी के योग में विष्णु जी के साथ ही देवी लक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक जरूर करना चाहिए। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और उससे भगवान का अभिषेक करें। फूल, मौसमी फल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। मिठाई का भोग तुलसी के पत्ते के साथ लगाएं।
3. इस दिन बाल गोपाल और गौमाता की प्रतिमा का भी अभिषेक करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं। तुलसी के पत्तों के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करें। किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान करें।
4. एकादशी पर जो लोग व्रत करते हैं, उन्हें पूरे दिन अन्न का त्याग करना चाहिए। इस तिथि पर फलाहार करना चाहिए और भगवान के मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान करना चाहिए।
5. किसी विष्णु या श्रीकृष्ण मंदिर केसरिया ध्वज का दान करें और भगवान को पीले फलों का भोग लगाएं जैसे कैले, आम, संतरा आदि। बाद में इन फलों को गरीबों में बांट दें।
6. इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इससे आपकी परेशानियां कम हो सकती हैं।

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