सार
वर्तमान समय में प्रेम विवाह यानी लव मैरिज एक आम बात हो गई है, लेकिन लव मैरिज इतनी आसानी भी नहीं होती।
उज्जैन. कई मुश्किलों के बाद लोगों को अपना प्यार मिल पाता है। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र की सहायता से आप जान सकते हैं कि आपका प्रेम विवाह होगा या नहीं। जानिए कुंडली के ऐसे योगों के बारे में-
1. जन्म कुंडली का सातवां भाव विवाह का भाव है और राहु का संबंध इस भाव से होने पर जातक परिवार की मर्जी के बिना प्रेम विवाह करने की सोचता है। इस भाव से राहु के संबंध होने पर व्यक्ति संस्कृति और परंपरा से हटकर सोचता है।
2. जब कुंडली में राहु प्रथम अर्थात् लग्न भाव में हो और सातवें भाव पर गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो ऐसे में प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है।
3. कुंडली में पंचमेश का उच्च राशि में राहु या केतु हो तो उस व्यक्ति के प्रेम विवाह की प्रबल संभावना रहती है।
4. कुंडली में मंगल का शनि या राहु से संबंध युति हो तो प्रेम विवाह होने की परिस्थिति बनती है।
5. कुंडली में विवाह भाव से मंगल, शनि और राहु का संबंध बनने पर व्यक्ति का विवाह उसके परिवार की सहमति के बिना पूरा होता है।
6. कुंडली में सप्तमेश और शुक्र ग्रह पर शनि या राहु की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति का निश्चित ही प्रेम विवाह होता है।