सार
कई बार ऐसा समय आता है कि बनते काम बिगड़ने लगते हैं। अचानक सभी ओर से निराशा हाथ लगने लगती है। पैसों का नुकसान होने लगता है। लाल किताब के अनुसार, इसका कारण ग्रहों का अशुभ होना हो सकता है।
उज्जैन. कई बार ऐसा समय आता है कि बनते काम बिगड़ने लगते हैं। अचानक सभी ओर से निराशा हाथ लगने लगती है। पैसों का नुकसान होने लगता है, ऐसे समय में कुछ समझ नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है। लाल किताब के अनुसार, इसका कारण ग्रहों का अशुभ होना हो सकता है। जब कोई ग्रह प्रतिकूल हो जाता है तब बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं। आगे जानिए इसके कारण और उपाय…
ये हैं कारण
1. लाल किताब के अनुसार शनि, राहु और केतु के मंदे कार्य करने से भी व्यक्ति का जीवन गरीबी और संकट में ही गुजर जाता है।
2. लाल किताब के अनुसार यदि शनि 7वें भाव में है और उसी समय सूर्य, चंद्र या मंगल में से कोई एक या कोई दो या तीनों ही ग्रह तीसरे, पांचवें या सातवें भाव में स्थित हैं तो अचानक परेशानियां बढ़ जाती हैं।
उपाय
1. 43 दिन तक गुड़ और गेहूं का दान दें और उसके बाद अगले 3 वर्षों तक गुड़ और गेहूं का रविावार को मंदिर में दान देते रहें।
2. यदि शनि 7वें और चंद्र एवं मंगल तीसरे, पांचवें या सातवें भाव में एकत्रित हों तो 43 दिन तक हलवे में दूध मिलाकर मंदिर में बांटे और अगले तीन वर्षों तक हर मंगलवार को मंदिर में हलवा बांटें।
3. यदि सातवें भाव में शनि विराजमान हैं और चंद्रमा अकेले तीसरे, पांचवें या सातवें भाव में हो तो ऐसी अवस्था में चावल में दूध मिलाकर 43 दिन तक दान करें और इसके बाद अगले 3 वर्षों तक हर सोमवार को मंदिर में दान करें।
4. प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें और मंगलवार एवं शनिवार को उनके मंदिर में जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें सिंदूर अर्पित करें। तीन वर्ष तक यह क्रम जारी रहना चाहिए।
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