सार
माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये अमावस्या 11 फरवरी, गुरुवार को है। इस दिन प्रयाग या अन्य तीर्थों में स्नान का महत्व है।
उज्जैन. माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये अमावस्या 11 फरवरी, गुरुवार को है। इस दिन प्रयाग या अन्य तीर्थों में स्नान का महत्व है। अगर ऐसा संभव न हो तो पानी में तिल मिलाकर घर पर स्नान करने से से ही हर तरह के दोष खत्म हो सकते हैं। इस दिन तिल के साथ पितरों का तर्पण भी करना चाहिए, इससे पितृ तृप्त होते हैं। साथ ही इस पर्व पर तिल के साथ शनि देव की पूजा करने से शनि दोष भी बहुत हद तक कम हो जाता है।
पितरों के लिए ये उपाय करें…
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पीपल की पूजा करें। पानी में कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल पर चढ़ाएं। इसके बाद तिल के तेल का दीपक लगाएं और 11 परिक्रमा करें।
2. मौनी अमावस्या पर दोपहर में श्राद्ध कर सकते हैं। इसमें तीन कर्म होते हैं। तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन। श्रद्धा अनुसार तीनों या तीनों में से कोई एक कर्म भी किया जा सकता है। लेकिन हर कर्म में तिल का इस्तेमाल जरूरी है। तर्पण में तिल मिलाकर अंजली छोड़ें। पिंडदान के लिए पिंड पर भी तिल रखें। ब्राह्मण को भोजन के लिए बुलाएं तो खाने की चीजों में तिल से बने पकवान या मिठाइयों को शामिल करें। इसके बाद दक्षिणा के साथ तांबे के लोटे में तिल भरकर दान करें।
3. पितृ शांति के लिए अमावस्या पर घर में गीता पाठ करवा सकते हैं। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा के साथ वस्त्र दान करें।
4. माघी अमावस्या इस बार इसलिए खास है, चूंकि अमावस्या के अधिपति देवता स्वयं शनि है। इस दिन दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता है। इस बार अमावस्या पर शनि स्वराशि में अधिक बलवान रहेंगे। अमावस्या पर शनि के मकर राशि में होने से वृद्ध और रोगियों की सेवा करना शुभ फलदायी रहेगा।
5. शनि दोष निवारण के लिए इस दिन शनिदेव को तिल का तेल चढ़ाने के बाद पूजा में तिल के ही तेल का दीपक लगाना चाहिए। लोहे के बर्तन में तिल भरकर दान करना चाहिए। अमावस्या पर जरूतमंद लोगों को खाना खिलाकर, ऊनी कपड़े और जूते-चप्पल का दान करना चाहिए।
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