सार

बिल्व का पेड़ साक्षात भगवान शिव का ही स्वरूप माना गया है। बिल्व वृक्ष पर जल चढ़ाने से आने वाली हर मुसीबत दूर हो सकती है। बिल्व-वृक्ष के मूल यानी जड़ में शिव लिंग स्वरूपी भगवान शिव का वास होता है। इसलिए इस वृक्ष की जड़ को सींचा जाता है।

उज्जैन. सावन मास में भगवान शिव की पूजा का महत्व है और ये पूजा अगर बिल्व पत्रों से की जाए तो महादेव बहुत प्रसन्न होते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, बिल्व का पेड़ साक्षात भगवान शिव का ही स्वरूप माना गया है। बिल्व वृक्ष पर जल चढ़ाने से आने वाली हर मुसीबत दूर हो सकती है। बिल्व-वृक्ष के मूल यानी जड़ में शिव लिंग स्वरूपी भगवान शिव का वास होता है। इसलिए इस वृक्ष की जड़ को सींचा जाता है।

बिल्वमूले महादेवं लिंगरूपिणमव्ययम्।
य: पूजयति पुण्यात्मा स शिवं प्राप्नुयाद्॥
बिल्वमूले जलैर्यस्तु मूर्धानमभिषिञ्चति।
स सर्वतीर्थस्नात: स्यात्स एव भुवि पावन:॥ (शिवपुराण)

अर्थ: बिल्व के मूल में लिंगरूपी अविनाशी महादेव का पूजन जो पुण्यात्मा व्यक्ति करता है, उसका कल्याण होता है। जो व्यक्ति शिवजी के ऊपर बिल्वमूल में जल चढ़ाता है उसे सब तीर्थो में स्नान का फल मिल जाता है।

बिल्व पत्र तोड़ने का मंत्र
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥ -(आचारेन्दु)

अर्थ: अमृत से उत्पन्न सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र तोड़ता हूं।

कब न तोड़ें बिल्व पत्र ?
अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे ।
बिल्वपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्चेन्नरकं व्रजेत ॥(लिंगपुराण)

अर्थ: अमावस्या, संक्रांति, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों तथा सोमवार को बिल्व-पत्र तोड़ना वर्जित है।


इन बातों का भी रखें ध्यान...

बीमारी से छुटकारा दिलाता है बिल्व पत्र
अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान हैं और हर इलाज नाकाम हो रहा है तो 108 बिल्व पत्र लें और एक बर्तन में चंदन का इत्र भी लें। अब एक-एक बिल्व पत्र चंदन में डुबाते जाएं और शिवलिंग पर चढ़ाते जाएं। हर बिल्व पत्र के साथ ऊं हौं जूं सः का जाप करते रहें। मंत्र जाप के बाद बीमारी ठीक करने के लिए शिवजी से प्रार्थना करें।