सार
17 जनवरी, सोमवार को पौष महीने का आखिरी दिन रहेगा। यानी इस दिन पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इसका बहुत ही महत्व है। साधु-संतों के लिए ये विशेष पर्व होता है। इस दिन कई संत तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इनके साथ ही अन्य लोग भी नदियों में डूबकी लगाते हैं।
उज्जैन. पौष पूर्णिमा का पर्व मोक्ष की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए बहुत ही खास माना जाता है। कई पुराणों में जिक्र किया गया है कि पौष महीने की पूर्णिमा मोक्ष दिलाती है। इसलिए मान्यता है कि इस दिन तीर्थ स्नान करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मरने के बाद मोक्ष मिलता है।
इस दिन स्नान-दान से मिलता है शुभ फल
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि ग्रंथों के मुताबिक जो लोग पूरे पौष महीने में भगवान का ध्यान कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, उसकी पूर्णता पौष पूर्णिमा के स्नान से हो जाती है। यानी इस पर्व पर तीर्थ स्नान और दान से पुण्य का पूरा फल मिलता है। इस पर्व पर किए गए पुण्य का फल कभी खत्म नहीं होता है। इस दिन काशी, प्रयाग और हरिद्वार में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शाकंभरी जयंती मनाई जाती है। वहीं, छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रहने वाली जनजातियां पौष पूर्णिमा के दिन छेरता पर्व मनाती हैं।
क्या करें इस दिन?
- पौष माह की पूर्णिमा पर सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद तीर्थ या पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। ऐसा संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए।
- इसके बाद पूरे दिन व्रत और दान का संकल्प लेना चाहिए। फिर किसी तीर्थ पर जाकर नदी की पूजा करनी चाहिए। पौष माह की पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदियों और तीर्थ स्थानों पर पर स्नान करने का महत्व बताया गया है। नदी पूजा और स्नान करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
- शास्त्रों के अनुसार पौष पूर्णिमा को माघ स्नान का संकल्प ले लेना चाहिए। तीर्थ स्नान के दौरान संकल्प करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही संभव हो तो एक समय भोजन का व्रत भी करना चाहिए।
- जिस प्रकार पौष मास में तीर्थ स्नान का बहुत महत्व है, उसी प्रकार माघ में भी स्नान और दान का भी विशेष महत्व होता है। माघ में दान में तिल, गुड़ और कंबल या ऊनी वस्त्र दान देने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
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