सार
5 अप्रैल, को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है।
उज्जैन. इस बार प्रदोष व्रत रविवार को होने से रवि प्रदोष का शुभ योग बन रहा है। रविवार को इस विधि से करें शिवजी की पूजा…
व्रत और पूजा की विधि
- प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें।
- रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती (व्रत करने वाला) की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
ये उपाय करें
1. रवि प्रदोष पर भगवान शिव को चावल चढ़ाएं। शिवपुराण के अनुसार शिवजी को चावल चढ़ाने से धन लाभ होता है।
2. प्रदोष व्रत रविवार को होने से इस दिन सुबह सूर्यदेव को तांबे के लोटे से जल अर्पण करें। इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होगी।