सार
धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) कहते हैं। इस बार ये तिथि 13 जनवरी, गुरुवार को है। गुरुवार को एकादशी तिथि होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है।
उज्जैन. संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा आवश्यक रूप से करनी चाहिए। इससे इन्हें योग्य संतान की प्राप्ति हो सकती है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार इस दिन अनाथ व जरूरतमंद बच्चों को वस्त्र, खाद्य सामग्री, पढ़ाई में काम आने वाली चीजों का दान करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कब से कब तक रहेगी एकादशी तिथि?
डॉ. तिवारी के अनुसार एकादशी तिथि 12 जनवरी, बुधवार को शाम 04.49 से प्रारंभ होगी, जो 13 जनवरी, गुरुवार) की शाम 07.32 मिनट तक रहेगी। यह व्रत उदया तिथि में 13 जनवरी को रखा जाएगा। इसलिए व्रत का पारण 14 जनवरी को सूर्योदय के बाद होगा।
इस विधि से करें बाल गोपाल की पूजा
- एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल चढ़ाएं। भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें। गणेश पूजा के बाद बाल गोपाल की पूजा शुरू करें।
- बाल गोपाल को पंचामृत से और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। वस्त्र हार-फूल और आभूषण अर्पित करें। फल, मिठाई, जनेऊ, नारियल, पंचामृत, दक्षिणा आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। तुलसी के पत्ते डालकर माखन-मिश्री का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
- पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। पूजा में हुई अनजानी भूल के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद अन्य भक्तों को प्रसाद बांट दें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।
- गुरुवार और एकादशी के योग में देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा जरूर करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं, भगवान को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
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