सार

इस बार 20 अगस्त, शुक्रवार को प्रदोष व्रत किया जाएगा। शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से ये शुक्र प्रदोष कहलाएगा। शुक्रवार होने के कारण शिव पूजा से सुख-समृद्धि और उम्र भी बढ़ेगी। सावन (Sawan 2021) में प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। 

उज्जैन. इन दिनों भगवान शिव का प्रिय सावन मास चल रहा है। हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस बार ये व्रत 20 अगस्त, शुक्रवार को है। शुक्रवार को होने से ये शुक्र प्रदोष कहलाएगा और इस दिन शिव पूजा से सुख-समृद्धि और उम्र भी बढ़ेगी। सावन में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व बहुत अधिक होता है। जानिए इस दिन किन बातों का ध्यान रखें और कैसे व्रत व पूजा करें...

शिव और स्कंदपुराण (Skandpuran) में प्रदोष
शिव और स्कंदपुराण (Skandpuran) के मुताबिक, प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि पर शाम को सूर्यास्त के वक्त यानी प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। इस दौरान की गई उनकी पूजा से मनोकामना पूरी होती है। इस संयोग में भगवान शिव की पूजा से हर तरह के दोष भी दूर होते हैं।

त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को
सावन का आखिरी प्रदोष व्रत शुक्रवार को रहेगा। शुक्लपक्ष की तेरहवीं यानी त्रयोदशी तिथि गुरुवार की रात तकरीबन 11 बजे से शुरू हो जाएगी। जो कि शुक्रवार को रात करीब 9 बजे तक रहेगी। शुक्रवार को सूर्यास्त यानी प्रदोष काल में त्रयोदशी तिथि होने से इसी दिन ये व्रत करना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान
- पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, प्रदोष व्रत यूं तो निर्जला यानी बिना पानी पिए रखा जाता है। इसलिए इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत पूरे दिन रखा जाता है।
- सुबह नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- इस व्रत में दूध का सेवन करें और पूरे दिन उपवास धारण करें। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण करना चाहिए।

ये है पूजा विधि
- प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
- भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें। रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती (व्रत करने वाला) की हर इच्छा पूरी हो सकती है।

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