सार
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी कहते हैं। इस बार शीतला सप्तमी का व्रत 16 मार्च, सोमवार को है।
उज्जैन. कुछ स्थानों पर अष्टमी तिथि पर भी ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए पूजा व व्रत किया जाता है। इस दिन देवी शीतला के मंत्र का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से शीत (ठंड) से संबंधित बीमारियां नहीं होतीं। मंत्र और जाप की विधि इस प्रकार है-
इस विधि से करें मंत्र जाप
- शीतला सप्तमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद देवी शीतला का पूजा करें। कुंकुम, चावल, फूल आदि चीजें चढ़ाएं।
- भोग के रूप में एक दिन पहले बनाया गया भोजन अर्पित करें। जल चढ़ाएं। इस बात का ध्यान रखें कि शीतला माता की पूजा में दीपक नहीं जलाया जाता।
- इसके बाद घर आकर किसी साफ स्थान पर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें-
वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।
- सामने शीतला माता का चित्र हो तो शुभ रहेगा। इस मंत्र का कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।
- मान्यता है कि ऋतु परिवर्तन के कारण इस समय बीमारियां होने की संभावना सबसे अधिक होती है।
- देवी शीतला की पूजा से शीत से संबंधित बीमारियां नहीं होती।