सार
22 मई को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या है। पुराणों के अनुसार इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाएगी। इस पर्व के दौरान शनि देव का वक्री होना, उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन पर साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है।
उज्जैन. 22 मई को ज्येष्ठ महीने की अमावस्या है। पुराणों के अनुसार इस दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाई जाएगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार इस पर्व के दौरान शनि देव का वक्री होना, उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जिन पर साढ़ेसाती या ढय्या चल रही है। शनि की इस स्थिति का असर 29 सितंबर तक रहेगा। इसलिए शनि जयंती पर मिथुन, तुला, धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों को विशेष पूजा करनी चाहिए। मिथुन और तुला राशि वाले लोगों पर शनि की ढय्या चल रही है। वहीं धनु, मकर और कुंभ राशि वाले लोगों को साढ़ेसाती चल रही है।
ज्योतिषाचार्य पं. भट्ट के अनुसार, इस समय मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढय्या और धनु, मकर व कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए आगे बताए गए उपाय करें-
शनि मंत्र का जाप करें -
ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
उपाय -
1. काली गाय की सेवा करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
2. हर शनिवार उपवास रखें। सूर्यास्त के बाद हनुमानजी का पूजा करें।
3. किसी विद्वान से पूछकर काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।
4. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना चेहरा देखें और दान कर दें।
5. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें।
6. शनिवार को 11 साबूत नारियल नदी में प्रवाहित करें।
7. रोज पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
8. लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार को धारण करें।
9. किसी शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना करें और रोज इसकी पूजा करें।
10. रोज सुबह स्नान आदि करने के बाद शनि मंत्र का जाप करें।