सार

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस बार ये एकादशी 19 फरवरी, बुधवार को है।

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है, उसे हर काम में विजय यानी सफलता मिलती है। इस व्रत का महत्व पद्म और स्कन्द पुराण में भी वर्णन मिलता है। विजया एकादशी व्रत करने से परेशानियों से छुटकारा मिलता है और हर मनोकामना पूरी होती है।

इस विधि से करें विजया एकादशी का व्रत
- व्रत के एक दिन पहले (18 फरवरी, मंगलवार) शाम को सयंमपूर्वक भोजन करें और रात में ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति एक साफ स्थान पर स्थापित करें।
- इसके बाद भगवान विष्णु को पूजा करें। गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। चंदन, फूल, अबीर, गुलाल, चावल आदि चढ़ाएं। फल और अन्य पकवानों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर डालें।
- दिन भर कुछ खाएं नहीं, संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- रात में सोए नहीं, भगवान के भजन करें और मंत्रों का जाप करें।
- अगले दिन (20 फरवरी, गुरुवार) को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- इसके बाद ब्राह्मणों को दान और दक्षिणा देकर सम्मान विदा करें। बाद में स्वयं भोजन कर व्रत पूर्ण करें।
- इस तरह विधि-विधान से व्रत करने से हर काम में सफलता मिलती है।