सार

ज्योतिष में कुल नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु-केतु बताए गए हैं। कुंडली में ग्रहों के अशुभ फलों से बचने के लिए उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए।

उज्जैन. ग्रहों के मंत्र जाप से अशुभ असर कम हो सकता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सभी नौ ग्रहों के अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं।

इस विधि से करें मंत्रों का जाप…

  • रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद पूजा का प्रबंध करें। जिस ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
  • पूजन में सभी आवश्यक सामग्रियां अर्पित करें। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जाप करें।
  • मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं।

सूर्य मंत्र-  ऊँ सूर्याय नम:
सूर्य को अर्घ्य देकर इस मंत्र के जाप से प्रसन्नता, एकाग्रता और मान-सम्मान मिलता है।

चंद्र मंत्र- ऊँ सोमाय नम:
इस मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव दूर होता है।

मंगल मंत्र- ऊँ भौमाय नम:
इस मंत्र के जाप से भूमि संबंधी बाधाएं दूर हो सकती हैं।

बुध मंत्र- ऊँ बुधाय नम: 
बुध के मंत्र का जाप करने से बुद्धि बढ़ती है।

गुरु मंत्र- ऊँ बृहस्पतये नम:
इस मंत्र के जाप से वैवाहिक जीवन की अशांति दूर हो सकती है।

शुक्र मंत्र- ऊँ शुक्राय नम:
मंत्र के जाप से पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है।

शनि मंत्र- ऊँ शनैश्चराय नम:
इस मंत्र के जाप से बाधाएं दूर हो सकती हैं।

राहु मंत्र- ऊँ राहवे नम:
इस मंत्र के जाप तनाव और विवादों से बचाव होता है।

केतु मंत्र- ऊँ केतवे नम:
केतु के मंत्र का जाप करने से अशांति और कलह से बच सकते हैं।