सार

इस बार करवा चौथ (17 अक्टूबर, गुरुवार) पर ग्रहों का विशेष योग बन रहा है। ये योग सभी के लिए भाग्यशाली रहेगा।

उज्जैन. उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, चंद्रमा और बृहस्पति का दृष्टि संबंध होने से गजकेसरी नाम का राजयोग बनता है। ग्रहों की ऐसी स्थिति पिछले साल भी बनी थी, लेकिन बुध और केतु के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था, लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। बृहस्पति के अलावा चंद्रमा पर किसी भी अन्य ग्रह की दृष्टि नहीं पड़ने से पूर्ण राजयोग बन रहा है। इससे पहले 12 अक्टूबर 1995 को करवा चौथ पर पूर्ण राजयोग बना था। वहीं बृहस्पति और चंद्रमा का दृष्टि संबंध 2007 में भी बना था लेकिन शनि की वक्र दृष्टि के कारण चंद्रमा के पीड़ित होने से राजयोग भंग हो गया था।

इस दिन ध्यान रखें ये 5 बातें
करवा चौथ महिलाओं के लिए बहुत ही विशेष पर्व होता है। इस दिन का वे बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं भी हैं। करवा चौथ पर महिलाओं को इन 5 बातों का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए-

सरगी का उपहार 
इस दिन सास अपनी बहू के लिए सुबह जल्दी उठकर खाने की कुछ विशेष चीजें तैयार करती हैं, इसे ही सरगी कहते हैं। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जो सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती है, जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिलती है ताकि वह व्रत आसानी से पूरा कर सके। 

निर्जला व्रत का विधान
करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन तक कुछ भी खाना और पीना वर्जित रहता है। जल का त्याग करना होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले। 

शिव और गौरी की पूजा
करवा चौथ के व्रत में सुबह से ही श्री गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति प्राप्त हो सके। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है। 

शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति
करवा चौथ में पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी एवं गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है। फिर उन्हें चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। श्रीगणेशजी उनकी गोद में बैठते हैं। 

ध्यान से सुनें कथा
दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं। वहां पंडितजी या उम्रदराज महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं। इसके बाद चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।