सार
यूपी के बांदा में विशेष कार्य बल (STF) के 6 जवानों व एक मुखबिर की हत्या के आरोप में स्थानीय अदालत ने गुरुवार को कथित अंतरप्रांतीय दस्यु सरगना ठोकिया गिरोह के 13 डकैतों को उम्रकैद व जुर्माने की सजा सुनाई है। यह सजा 15 साल पुराने मामले में सुनाई गई है।
बांदा: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बांदा में विशेष कार्य बल (STF) के 6 जवानों व एक मुखबिर की हत्या के आरोप में स्थानीय अदालत ने गुरुवार को कथित अंतरप्रांतीय दस्यु सरगना ठोकिया गिरोह के 13 डकैतों को उम्रकैद व जुर्माने की सजा सुनाई है। यह सजा 15 साल पुराने मामले में सुनाई गई है, जब एसटीएफ के जवाब मुठभेड़ (Encounter) के दौरान मारे गए एक डकैत का शव लेकर मुख्यालय आ रहे थे तो रास्ते में घाट लगाए बैठे अन्य बदमाशों ने एसटीएफ के जवानों पर फायरिंग कर दी, जिसमें आधा दर्जन एसटीएफ के जवानों की मौत हो गई थी।
मुख्यालय लाया जा रहा था डकैत का शव, घेर कर एसटीएफ टीम पर डकैतों ने कर दिया हमला
एसटीएफ के अफसरों ने मामले से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 15 साल पुराने इस मामले में 22 जुलाई 2007 को सुबह एसटीएफ ने चित्रकूट जिले में मानिकपुर क्षेत्र के झलमल जंगल में कुख्यात अंतरप्रांतीय इनामी दस्यु सरदार शिवकुमार उर्फ ददुआ को मार गिराया था। जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कोलहूआ जंगल में दस्यु सरगना अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया गिरोह को भी घेर लिया था। जहां हुई सशस्त्र मुठभेड़ में डकैत भैयादीन मारा गया था और अंधेरे का लाभ उठाकर ठोकिया व अन्य डकैत मौके से फरार होने में कामयाब हो गए थे। इस मुठभेड़ के बाद एसटीएफ के जवान मृत डकैत भैयादीन के शव को लेकर बांदा मुख्यालय आ रहे थे कि रास्ते में बांदा जिले के फतेहगंज थाना क्षेत्र की बघोलन जंगल तिराहे पर रात के अंधेरे में घात लगा कर छुपे बैठे डकैतों के गिरोह ने पुलिस वाहनों पर जबरदस्त फायरिंग की। जिसमें एसटीएफ के 6 जवान व एक मुखबिर शहीद हो गए थे और एक सब इंस्पेक्टर व एक प्रधान आरक्षी, दो आरक्षी व एक चालक घायल हो गए थे।
29 गवाहों को सुनने के बाद 13 डकैतों को हुई उम्रकैद की सजा
आपको बताते चलें कि इस घटना के बाद से अब तक सभी अभियुक्त जेल में हैं। अदालत में पीड़ित पक्ष की ओर से 29 गवाह पेश किए गए थे। विशेष न्यायाधीश नूपुर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सरगना डकैत ठोकिया के चाचा नत्थू, साले शंकर पटेल व देव सिंह तथा डकैत ज्ञान सिंह व किशोरीलाल पटेल सहित सभी 13 आरोपियों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई। बाद में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ सभी आरोपियों को जेल भेजा गया।
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