सार
किसी भी धर्म का कोई भी तीज-त्यौहार या पर्व हो, लोग सेल्फी या फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगे हैं। लेकिन बकरीद पर कुर्बानी की फोटो डरावनी साबित हो सकती हैं। लखनऊ के एक मौलाना ने ऐसी चेतावनी दी है।
लखनऊ. यहां के ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंग महली ने मुसलमानों के नाम एक बयान जारी किया है। शुक्रवार को नमाज के बाद मौलाना ने बकरीद पर कुर्बानी के फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट न करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कुर्बानी के वक्त की कोई भी फोटा या वीडियो नहीं बनानी चाहिए। ऐसी तस्वीरों-वीडियो में खून ही खून और पीड़ा होती है। ये महिलाओं और बच्चों के लिए ठीक नहीं है। वे इन्हें देखकर डर सकते हैं।
मौलवी ने कहा कि ऐसा करने से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। इस्लाम किसी की भी भावनाएं आहत करने की इजाजत नहीं देता। मौलवी ने प्रतिबंधित पशुओं की भी कुर्बानी न देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बलि के बाद पशुओं के अवशेष सार्वजनिक जगहों पर न फेंकें। सड़क या गलियों में भी कुर्बानी न दें। इससे लोगों को दिक्कत होती है। यह भी इस्लाम के खिलाफ है।
11 या 12 को मनाई जा सकती है ईद
ईद चांद के दिखने पर निर्भर होती है। इस बार बकरा ईद या ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा 11 या 12 अगस्त को मनाई जाएगी। बकरा ईद मीठी ईद के 2 महीने बाद आती है।
ईद से जुड़ी कहानी
इस्लाम में हजरत इब्राहिम को अल्लाह का पैगंबर कहते हैं। वे 90 साल के हुए, लेकिन उनके घर में कोई संतान नहीं हुई। तब उन्होंने खुदा की बंदगी की इसके बाद उनके यहां बेटे इस्माइल का जन्म हुआ। एक दिन उन्हें सपना आया, जिसमें उनसे सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कहा गया। इब्राहिम ने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने की ठानी। लेकिन उनकी इबादत देखकर खुदा ने कुर्बानी को बकरे में बदल दिया। यानी इस्माइल कर जगह बकरे की कुर्बानी हो चुकी है। तब से खुदा की इबादत में बकरा ईद मनाई जाती है।