सार
कम उम्र में लड़कियों की शादी करने का चलन अब धीरे-धीरे गायब हो रहा है लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब लड़की की शादी निर्धारित उम्र से पहले करना उसके हित में होता है लिहाजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार से मांग करता है कि वह ऐसे अनुपयोगी और नुकसानदेह कानून बनाने से परहेज करे।
लखनऊ: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के केंद्र सरकार ( Central Government) के प्रस्ताव को व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करार देते हुए विवाह की आयु तय करने से परहेज करने का आग्रह किया है। बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ( General Secretary Maulana Khalid Saifullah Rahmani) ने सोमवार रात जारी एक बयान में कहा कि शादी जीवन की बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है लेकिन विवाह की कोई उम्र तय नहीं की जा सकती क्योंकि यह समाज के नैतिक मूल्यों के संरक्षण और नैतिक वंचना से समाज के संरक्षण से जुड़ा मामला भी है।
इस्लाम समेत विभिन्न धर्मों में नहीं तय शादी की कोई उम्र
रहमानी ने कहा 'यही वजह है कि इस्लाम समेत विभिन्न धर्मों में शादी के लिए कोई उम्र तय नहीं की गई है। यह पूरी तरह से अभिभावकों के विवेक पर निर्भर करता है। अगर किसी लड़की के अभिभावक यह महसूस करते हैं कि उनकी बेटी 21 साल की उम्र से पहले ही शादी के लायक है और वह शादी के बाद की अपनी तमाम जिम्मेदारियां निभा सकती है तो उसे शादी से रोकना क्रूरता है और किसी वयस्क की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप भी है। इससे समाज में अपराध बढ़ने की भी आशंका है।'
नुकसानदेह कानून ना बनाए सरकार
बोर्ड महासचिव ने कहा कि लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल किया जाना और निर्धारित उम्र से पहले विवाह करने को अवैध घोषित किया जाना ना तो लड़कियों के हित में है और ना ही समाज के। बल्कि इससे नैतिक मूल्यों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। बोर्ड के आधिकारिक हैंडल से ट्वीट पर किए गए इस बयान में मौलाना रहमानी ने यह भी कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी करने का चलन अब धीरे-धीरे गायब हो रहा है लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जब लड़की की शादी निर्धारित उम्र से पहले करना उसके हित में होता है लिहाजा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार से मांग करता है कि वह ऐसे अनुपयोगी और नुकसानदेह कानून बनाने से परहेज करे। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले हफ्ते लड़कियों की शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 वर्ष करने से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।