सार

कांग्रेस अध्यक्ष बने मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने आने वाले दिनों में कई चुनौतियां होगी। इन चुनौतियों का सामना कर उनके पास हार को जीत में बदलने का लक्ष्य होगा। वहीं इस बीच पार्टी में दिख रही गुटबाजी को खत्म करने का प्रयास भी करना होगा। 

लखनऊ: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने शशि थरूर को शिकस्त दे दी है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के समय ही काफी हद तक साफ हो गया था कि वह ही इस चुनाव में जीत हासिल करेंगे। हालांकि इस मुकाबले को रोचक बनाने की शशि थरूर ने बेहद कोशिश की लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हो सकी। 
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीति में पकड़ रखने वाले भाष्कर दूबे बताते हैं कि पहले ही यह तय माना जा रहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत इकतरफा होगी। हालांकि इस जीत के साथ ही उन्हें वह तमाम चुनौतियां भी उपहार स्वरूप मिली है जिनका सामना उन्हें आने वाले दिनों में करना होगा। यदि खड़गे इन चुनौतियों से भी इस चुनाव की तरह ही निपटते हैं तो जाहिर तौर पर कांग्रेस में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। 

1- गुटबाजी खत्म कर सभी को साथ में लाना 
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के साथ ही पार्टी गुटों में बटी हुई दिखाई दी। वहीं परिणाम सामने आते ही चुनाव प्रक्रिया में जिम्मेदारी संभाल रहे नेता मधूसूधन मिस्त्री ने भी पत्र लिख चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए। इसी के साथ शशि थरूर के चुनाव एजेंट सलमान सोज ने भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हमारे पास इस बात के कोई सबूत नहीं है कि 'मल्लिकार्जुन खड़गे को ये जानकारी थी कि उनके समर्थक यूपी में चुनावी धांधली में किस तरह से लिप्त रहें। हालांकि हम यह मानते हैं कि अगर उन्हें इसकी जानकारी होती तो वह यूपी में यह सब नहीं होने देते। वह इस चुनाव पर धब्बा नहीं लगने देते जो कि कांग्रेस पार्टी के लिए काफी अहम है।' इसके बाद अब दो गुटों में बंटती कांग्रेस को साथ लाकर आगे चलना काफी कठिन होगा। 

2- यस मैन की छवि में करना होगा बदलाव 
मल्लिकार्जुन खड़गे की छवि मास लीडर की नहीं बल्कि यस मैन की रही है। यस मैन का तात्पर्य है कि हाईकमान के आदेशों का पालन करना। लेकिन अब जब खड़गे कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े पद पर पहुंच चुके हैं तो उनके सामने इस छवि को बदलने की भी चुनौती होगी। आने वाले कुछ दिनों में ही यदि उनकी यह छवि नहीं बदलती है तो इसका खामियाजा उन्हें आने वाले दिनों में भुगतना पड़ सकता है। 

3- खड़ी करनी होगी नई जमीन 
मल्लिकार्जन खड़गे को विरासत में मिली कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत ही खस्ताहाल है। यही हाल यूपी और अन्य राज्यों में भी देखने को मिल रहा है। प्रियंका गांधी औऱ राहुल गांधी ने भी यहां चुनावों के समय आकर काफी ज्यादा मेहनत की लेकिन उसका परिणाम नहीं दिखा। अन्य प्रदेशों में भी यही हाल है। ऐसे में खड़गे को फिर से कांग्रेस को खड़ा करना होगा। 

4- युवाओं के साथ तालमेल बिठाना बड़ी चुनौती
कांग्रेस में आज भी वरिष्ठ नेताओं की कमी नहीं है। हालांकि युवाओं को साथ लेकर चलने और उनकी सोच के साथ तालमेल बनाने में अक्सर चूक देखने को मिलती है। पूर्व के चुनावों में भी देखा जाए तो टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार और परिणाम तक युवाओं के साथ खराब तालमेल का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा था। कांग्रेस में नई पीढ़ी आगे बढ़कर संघर्ष करने को तो तैयार है लेकिन वह सत्ता में भागीदारी की भी अभिलाषा रखती है। लिहाजा इस बात का ध्यान देना भी आने वाले दिनों में जरूरी होगा। वहीं इस बीच वरिष्ठ नेताओं को भी साथ लेकर चलना होगा। 

5- असंतुष्ट नेताओं को फिर से साथ लाना 
कांग्रेस में कई ऐसे नेता यूपी में है जिनकी पकड़ जनता के बीच में काफी अच्छी रही है। हालांकि पूर्व में वह पार्टी की नीतियों से असंतुष्ट होकर किनारा कर चुके हैं। इस तरह के नेताओं को फिर से पार्टी में वापस लाना भी कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती के तौर पर सामने आएगा। इस चुनौती को पार कर वह काफी हद तक पुराने हो चुके नुकसान को कम करने में और अगले चुनाव में उसका फायदा लेने में कामयाब रहेंगे। 

6- कांग्रेस को हार से जीत की पटरी पर लाना होगा वापस 
मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि कांग्रेस को जीत की डगर पर उन्हें वापस लाना होगा। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और फिर प्रियंका गांधी की अगुवाई में कई बार यह प्रयास पहले भी हुआ। हालांकि उस दौरान बदलाव तो नजर आए लेकिन जीत के पटल तक कांग्रेस नहीं पहुंच सकी। ऐसे में अब हार के उस सिलसिले को तोड़ना भी बड़ी चुनौती होगी। 

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