सार
अखिलेश यादव इस सीट पर गठबंधन के खाते में प्रत्याशी घोषित कर अपना पल्ला झाड़ सकते हैं या फिर गुड्डू जमाली को टिकट देकर एक नया दांव खेलेंगे। यदि बसपा से सपा में आए गुड्डू जमाली को अखिलेश यादव उम्मीदवार बनाते हैं तो निश्चित तौर पर स्थानीय समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कहीं ना कहीं से निराशा हाथ लग सकती है।
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट (Mubarkpur seat) का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है। मुबारकपुर को रेशमी नगरी के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां बनारसी साड़ियां बनाई जाती हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में बुनकर समाज के लोग ज्यादातर निवास करते हैं। आजादी के बाद से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने केवल एक बार अपना परचम लहराया। हैरानी की बात यह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी यह कयास लगाए बैठी है कि मुस्लिम और यादव फार्मूला उसके फेवर में काम करेगा ऐसे में इस सीट पर किसका पलड़ा भारी रहेगा। पिछले काफी समय से यहां बहुजन समाज पार्टी का कब्जा रहा।
शाह आलम ने थामा सपा का दामन
2017 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के विधायक शाह आलम ने पार्टी से इस्तीफा देकर हाल में ही समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। वहीं बीजेपी भी इस बार यहां अपनी जोर आजमाइश में लगी हुई है। समाजवादी पार्टी के लिए सबसे बड़ी समस्या यहां यह है कि इस बार वह मुबारकपुर विधानसभा से किसे अपना प्रत्याशी घोषित करती है ,क्योंकि यह तरफ जहां बसपा छोड़कर के समाजवादी पार्टी में आए शाह आलम गुड्डू के समर्थकों को उम्मीद है कि गुड्डू जमाली इस बार समाजवादी पार्टी से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। वहीं दूसरी तरफ गठबंधन के बाद इस सीट पर शिवपाल यादव के सबसे करीबी माने जाने वाले राम दर्शन यादव को भी समाजवादी पार्टी से टिकट की उम्मीद है। इनके अलावा और भी कई दिग्गज समाजवादी पार्टी से टिकट मिलने की आस लगाए बैठे हैं ऐसे में अखिलेश यादव इस सीट पर क्या फैसला लेते हैं। यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। इस सीट पर 1962 से लेकर अब तक केवल एक बार समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया है ,उम्मीद यह भी लगाई जा रही है अखिलेश यादव इस सीट पर गठबंधन के खाते में प्रत्याशी घोषित कर अपना पल्ला झाड़ सकते हैं या फिर गुड्डू जमाली को टिकट देकर एक नया दांव खेलेंगे। यदि बसपा से सपा में आए गुड्डू जमाली को अखिलेश यादव उम्मीदवार बनाते हैं तो निश्चित तौर पर स्थानीय समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में कहीं ना कहीं से निराशा हाथ लग सकती है।
क्या है मतदाताओं का हाल
मुबारकपुर में कुल मतदाताओं की संख्या 352935 है जिनमें पुरुष मतदाता 184874 है जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 168059 है। थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या दो है। इनमें मुस्लिम मतदाता लगभग 115000 दलित लगभग 78000 यादव लगभग 65000 राजभर मतदाता लगभग 20,000 चौहान लगभग 15000 छत्रिय लगभग 10,000 और ब्राह्मण लगभग 6000 मतदाता हैं इसी प्रकार मौर्य मतदाता लगभग 8000 तथा अनुसूचित जनजाति के लगभग 21000 मतदाता है।आजादी के बाद से मुबारकपुर विधानसभा पर यदि नजर डालें तो 1962 में यह सीट भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सुरजन के पास थी, 1967 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और विश्वनाथ यहां से विधायक हुए। इसी तरह 1969 में यह सीट एसएसपी के पास रही, 74 में यह सीट बीकेडी के खाते में गई ।1977 में जेएनपी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1980 में कांग्रेस के दूधनाथ यहां से विधायक हुए। 1985 में आई एन डी के खाते में यह सीट गई, जबकि 89 में जनता दल ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1991 में भी जनता दल का ही स्थित पर कब्जा रहा ।1993 में पहली बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राम दर्शन यादव ने इस सीट पर विजय हासिल की। दोबारा 1996 से लेकर 2017 तक इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी का कब्जा बना हुआ है। लेकिन गुड्डू जमाली के जाने के बाद बहुजन समाज पार्टी को अभी यहां अपना प्रत्याशी नजर नहीं आ रहा है देखना यह है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में अखिलेश और मायावती के रस्साकशी में किसका पलड़ा भारी रहता है।
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