सार
यूपी में योगीराज आने से पहले कैराना के बड़े कुख्यात अपराधी मुकीम काला की यहां सल्तनत चलती थी या व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए उसे रंगदारी देते थे और जो नहीं देते थे उनकी हत्या कर दी जाती थी। मुकीम काला और उसके गैंग के आतंक से परेशान होकर कैराना से कितने ही व्यापारी पलायन कर गए। कैराना की उन गलियों में भी सन्नाटा हो गया जहाँ कभी लोगों की भीड़ हुआ करती थी।
अनमोल शर्मा
मेरठ: 2022 यूपी विधानाभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav) में कैराना पलायन का मुद्दा फिर गर्मा गया है। गृहमंत्री अमित शाह (Homeminister Amit shah) के कैराना से चुनावी आगाज करने से साफ हो गया है कि कैराना भी पश्चिम से लेकर पूरब तक बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा है। मेरठ, बागपत, मुजफरनगर और सहारनपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों को छोड़कर गृहमंत्री अमित शाह का कैराना में चुनावी शंखनाद करना, घर-घर संपर्क करना और पलायन से वापिस लौटे लोगों से मुलाकात करना भी बीजेपी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है. यानि मुज़फ्फरनगर दंगो के साथ कैराना पलायन का मुद्दा भी बीजेपी जोर-शोर से उठाएगी।
क्यों है कैराना अहम
यूपी में योगीराज आने से पहले कैराना के बड़े कुख्यात अपराधी मुकीम काला की यहां सल्तनत चलती थी या व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए उसे रंगदारी देते थे और जो नहीं देते थे उनकी हत्या कर दी जाती थी। मुकीम काला और उसके गैंग के आतंक से परेशान होकर कैराना से कितने ही व्यापारी पलायन कर गए। कैराना की उन गलियों में भी सन्नाटा हो गया जहाँ कभी लोगों की भीड़ हुआ करती थी। मुकीम के ख़ौफ़ से पलायन को मजबूर लोगों ने आपनर घरों के बाहर " ये घर बिकाऊ है" का बोर्ड लगा दिया...इससे मुकीम का ख़ौफ़ और बढ़ गया,चूंकि मुकीम काला को राजनीतिक संरक्षण मिलने के आरोप भी लगे और शायद इसीलिए लोग कानून से ज्यादा मुकीम की दहशत मानने लगे थे। आखिरकार बीजेपी के कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह ने 2016 में इस मामले को जोर शोर से उठाया औ 346 हिंदू परिवारों की लिस्ट दी और आरोप लगाया कि सपा सरकार आने के बाद और ज्यादा हिंदुओ का पलायन हुआ। तब जाकर पूरे देश में कैराना पलायन और मुकीम का आतंक पता चला लेकिन 2017 में योगिराज आने के बाद आतंक का अंत भी हुआ और पलायन करके गए कई परिवार भी वापिस लौट आए, और उन्हें परिवारों से अमित शाह ने मिलकर यर भरोसा जताया कि सरकार हमेशा उनके साथ है, इसलिए बीजेपी को 300 पार सीट दिलाइये
कैराना नहीं पश्चिमी यूपी और कई प्रदेशों तक था मुकीम काला का नेटवर्क
मुकीम काला का आतंक कैराना ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ हरियाणा, उत्तराखंड तक भी फैला था। 15 फरवरी 2015 की करें तो मुकीम ने अपने गैंग के साथ सहारनपुर में तनिष्क शोरूम में करोड़ो रूपये की डकैती डाली और जब पुलिस ने घेराबंदी की तो सिपाही राहुल ढाका की हत्या कर डाली और हथियार भी लूट लिया। इसी दिन तीतरो गांव में दो सगे भाइयों की हत्या कर दी गई। इसी के साथ ही कई और वारदातों को भी अंजाम दिया। इन घटनाओं के बाद मुकीम जरायम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया।
योगिराज आने के बाद कैसे बदला कैराना
2017 में सरकार बदली और भाजपा के हिंदुत्व की छवि रखने वाले योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। योगी आदित्यनाथ ने बदमाशों के खिलाफ सख्त संदेश दिया था जिसके बाद मुकीम काला गैंग के खिलाफ पुलिस ने अपनी कार्यवाही तेज कर दी। पुलिस और इस गैंग के सदस्यों के साथ एनकाउंटर हुए, पुलिस ने एनकाउंटर में कुछ बदमाश ढेर कर दिए तो कुछ को सलाखों के पीछे भेज दिया।
कब कब हुई पुलिस की बड़ी कार्यवाही
जनवरी 2018 में कैराना के जंधेड़ी गांव में मुठभेड़ के दौरान एक लाख के इनामी साबिर जंधेड़ी को मार गिराया। इस मुठभेड़ में एक सिपाही भी शहीद हो गए थे। फिर ठीक एक महीने बाद फरबरी 2018 में पुलिस की मुठभेड़ झिंझाना क्षेत्र में मुकीम काला के एक और मुख्य सदस्य अकबर से हुई जिसमें जिसमे उसको पुलिस ने ढेर कर दिया। 50 हजार का इनामी मुकीम काला का भाई वसीम को मेरठ पुलिस ने ढेर किया और उसका एक साथी मोटा को भी पुलिस की गोली का शिकार होकर जान गावनि पड़ी थी। जबकि 6 से ज्यादा बदमाशो को गोली लगने पर गिरफ्तार कर लिया गया था।
सांसद की बेटी चुनावी मैदान में
कैराना का मुद्दा उठाने वाले भाजपा के सांसद रहे स्वर्गीय बाबू हुकुम सिंह के बेटी मृगांका सिंह इस बार चुनावी मैदान में हैं। शनिवार को जब अमित शाह कैराना आये थे तो उनके साथ मृगांका सिंह भी नजर आई। कैराना पलायन का मुद्दा भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि पिछले एक दो महीने में योगी आदित्यनाथ के बाद गृह मंत्री अमित शाह खुद यहां आ गए और जनता को ये दिखाने का प्रयास किया कि भाजपा की सरकार में भय मुक्त वातावरण है और गुंडाराज खत्म हो गया है।
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आखिर UP चुनाव में क्यों खास बना कैराना पलायन का मुद्दा? जानिए