सार
अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का काम जोर-शोर से चल रहा है। नींव भरने के बाद अब चबूतरे का काम जारी है। इसे 7 लेयर का बनाया जाएगा और इसके बाद इस पर गर्भगृह का निर्माण होगा। गर्भगृह के लिए राजस्थान से विशेष पत्थर मंगाए गए हैं।
नई दिल्ली/अयोध्या। राम जन्मभूमि अयोध्या (Ayodhya) में भगवान राम का भव्य मंदिर (Ram Mandir) बनना शुरू हो गया है। मंदिर के गर्भगृह को दिसंबर, 2023 तक पूरा किया जाना है, जिसमें रामलला विराजित होंगे। मंदिर का चबूतरा 7 लेयर का बनाया जा रहा है, जिसमें कर्नाटक से लाए गए एक खास तरह के ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन पत्थरों की अब तक 3 लेयर बन चुकी है। इस तरह 7 लेयर बनने के बाद गर्भगृह का काम शुरू होगा। राम मंदिर के गर्भगृह के लिए भी राजस्थान एक एक खास पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसको लेकर एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बात की। उन्होंने मंदिर निर्माण में लगने वाले इस खास तरह के पत्थर के बारे में बताया।
बंसी पहाड़पुर पत्थर से बनेगा मंदिर का गर्भगृह :
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, गर्भगृह से पहले राम मंदिर के लिए चबूतरा बनाया जा रहा है। इसकी 7 लेयर बनने के बाद उस पर राजस्थान का एक पत्थर, जिसका नाम बंसी पहाड़पुर है उसका स्ट्रक्चर बनेगा और फिर गर्भ गृह बनना शुरू होगा। हमारी कोशिश है कि दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बन जाए ताकि प्राण-प्रतिष्ठा होने के बाद हमारे भगवान श्रीराम पुराने मंदिर से यहां आ जाएं और लोग दूर से रामलला के दर्शन कर सकें।
कहां मिलता है बंसी पहाड़पुर पत्थर और क्या है खासियत :
यह खास तरह का पत्थर राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित रुदावल क्षेत्र में पाया जाता है। यह जगह भरतपुर से करीब 55 किलोमीटर दूर बयाना के पास है, जिसे बंसी पहाड़पुर कहा जाता है। इस एरिया में चारों तरफ पहाड़िया हैं, जहां ये पत्थर मिलता है। बंसी पहाड़पुर के पत्थरों के बारे में कहा जाता है कि यह लंबे समय तक चमकता रहता है और इसकी उम्र 5 हजार साल होती है। इस पत्थर का इस्तेमाल पहले भी कई प्राचीन मंदिरों और भवनों के निर्माण में हो चुका है। बंसी पहाड़पुर पत्थर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि पानी पड़ने पर ये और ज्यादा चमकदार हो जाता है।
पूर्व दिशा की ओर बढ़ते क्रम में बनेंगे 5 मंडप :
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, हमारी कोशिश है कि हम अगले साल यानी दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह को तैयार कर लेंगे। इसमें पांच मंडप हैं, जो पूर्व दिशा की ओर बढ़ते क्रम में हैं। हम चाहते हैं कि गर्भगृह में वो पांच मंडप बनने के साथ ही उसके ऊपर फर्स्ट फ्लोर बने और फिर सेकेंड फ्लोर बने, जिसके तीन मंडप और दो मंडप होंगे। इस तरह इन सबको मिलाकर भव्य मंदिर का निर्माण होगा।
कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट :
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया।
कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा :
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया।
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