सार

बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बाद बीजेपी सत्ता में आई। उस बीच मोदी लहर मथुरा के जिस विधायक का वर्चस्व कम न कर पाई उसे इस बार योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता ने धराशयी कर दिया।

निर्मल राजपूत
मथुरा:
बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बाद बीजेपी सत्ता में आई। उस बीच मोदी लहर मथुरा के जिस विधायक का वर्चस्व कम न कर पाई उसे इस बार योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता ने धराशाई कर दिया। पिछले 8 बार से विधायक रहे पंडित श्याम सुंदर शर्मा के किले में इस तरह से सेंधमारी की गई कि पूरा किला पलक झपकते ही निस्तोनाबूत हो गया। मथुरा की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है और पांचों विधानसभाओं के प्रत्याशी प्रचंड बहुमत से जीत कर सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लिए हुए हैं। 

बाबा के ताबड़तोड़ दौरों ने भेद दिया अभेद किला
मथुरा की मांट विधानसभा सीट पर पिछले 8 बार से पंडित श्याम सुंदर शर्मा का कब्जा था। 2012 में मोदी लहर भी जिस किले का एक कंकड़ भी नहीं तोड़ कर ला पाई थी। उस किले को योगी आदित्यनाथ ने धराशाई करते हुए मांट विधानसभा सीट पर भाजपा का परचम लहरा दिया है। भाजपा के मांट विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनकर उतरे राजेश चौधरी ने पंडित श्याम सुंदर शर्मा को 10 हज़ार वोटों से पराजित करते हुए मांट में कमल खिला दिया है। 

मांट विधानसभा के लोगों से जब Asianet News हिंदी की टीम ने बातचीत करते हुए उनसे यह सवाल किया कि इस बार श्याम सुंदर शर्मा को शिकस्त क्यों मिली तो कई वजह निकल कर सामने आईं। लोगों ने बताया कि पिछले 8 बार से श्याम सुंदर शर्मा मांट विधानसभा का नेतृत्व कर रहे थे। 40 साल से लगातार एक ही चेहरा मार्च का नेतृत्व कर रहा था और विकास कार्यों को लेकर भी श्याम सुंदर शर्मा गंभीर नहीं थे। मांट विधानसभा में कुछ चुनिंदा गांव ऐसे हैं जहां पंडित श्याम सुंदर शर्मा ने अपनी विधायक निधि से कार्य कराए हैं। जिससे लोगों के अंदर काफी आक्रोश था और एक ऐसा जनप्रतिनिधि वह चाहते थे जो लोगों के बीच रहकर लोगों की समस्याओं का निदान समय पर करता रहे। 

40 साल बाद खिला भाजपा का कमल
पंडित श्याम सुंदर शर्मा पिछले 40 साल से मांट विधानसभा में विधायक के तौर पर चुनकर आते थे। योगी आदित्यनाथ के ताबड़तोड़ दौरे और सरकारी योजनाओं के लाभ श्याम सुंदर शर्मा के हार की वजह बताई गई है। पंडित श्याम सुंदर शर्मा के किले को भेदने के लिए योगी सरकार के द्वारा जो योजनाएं धरातल पर उतारी गईं। उन योजनाओं को भी एक वजह माना जा रहा है। कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक, मुफ्त राशन का वितरण और गरीबों को ढाई लाख रुपए आवास योजना के तहत दिए जाने के साथ-साथ महिला सुरक्षा पर जिस तरह से कार्य किए गए वह भी एक मुख्य वजह श्याम सुंदर शर्मा के किले को ढहने में आढ़े आये हैं। 

22 बार मथुरा आए थे योगी आदित्यनाथ
बता दें कि योगी आदित्यनाथ अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में मथुरा का करीब 22 बार दौरा कर चुके हैं। होली, दीपावली, जन्माष्टमी के साथ-साथ अन्य प्रमुख त्यौहारों पर भी योगी आदित्यनाथ मथुरा आते रहे। दीपावली, कृष्ण जन्माष्टमी और होली के त्यौहारों को सनातन धर्म के अनुसार मनाने के कारण भी इस बार भाजपा की प्रचंड जीत का एक मुख्य कारण भी रहा है। 

अलग-अलग पार्टियों में रहकर सत्ता का सुख भोग रहे थे श्याम सुंदर शर्मा
पंडित श्याम सुंदर शर्मा 1989 से 2012 तक विधायक रहे। अलग-अलग पार्टियों के सिंबल पर श्याम सुंदर शर्मा चुनाव लड़कर जीत दर्ज करा चुके हैं। 2017 में पंडित श्याम सुंदर शर्मा का मुकाबला राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी योगेश नौहवार से था। 432 वोटों से रालोद के प्रत्याशी योगेश नौहवार को शिकस्त देकर पंडित श्याम सुंदर शर्मा ने विजय पाई थी। बता दें कि आजादी के बाद से मांट विधानसभा सीट पर कोई भी स्थानीय जाट नेता नहीं जीत पाया है। पंडित श्याम सुंदर शर्मा की जीत का कारण है यहां लोगों से लगातार मिलना और उनकी समस्याओं का निस्तारण समय से करा देना। यही वजह है कि पंडित श्याम सुंदर शर्मा के आवास पर विधानसभा मांट ही नहीं जिले भर से लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं। 

छात्र नेता बनकर शुरू किया था अपना कैरियर
श्याम सुंदर शर्मा मांट व‍िधानसभा सीट से 1989 में पहला चुनाव कांग्रेस के टिकट से लड़े और उन्होंने जीत दर्ज की। वह 1991 और 1993 का चुनाव भी कांग्रेस के टिकट से लड़कर विधायक बने। वहीं 2002 और 2007 में वह टीएमसी के चिन्ह पर चुनावी रण में उतरे और जीत दर्ज कराई। वहीं 2012 के चुनाव में श्‍याम सुंदर शर्मा रालोद के युवा नेता जयंत चौधरी से हार गए। जयंत चौधरी पूर्व स्वर्गीय प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते और अजीत सिंह के पुत्र हैं। जयंत चौधरी ने अपनी सांसदी बचाने के ल‍िए यह सीट छोड़ दी और उपचुनाव हुआ, ज‍िसमें श्‍याम सुंदर शर्मा फिर जीते। बता दें कि 1 लाख 10 हजार के करीब जाटों की संख्या विधानसभा में है। बसपा प्रत्याशी श्यामसुंदर शर्मा ने छात्र नेता बंद कर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। 

Inside Story: हारने के बाद भी अयोध्या के इन नेताओं ने वोटर्स के दिल में बनाई जगह, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Inside Story: वाराणसी में नहीं चला प्रियंका-राहुल का जादू, बड़े उम्मीदवार भी नहीं जीत पाए जनता का विश्वास