सार
आईआईटी कानपुर और दवा कंपनी नीश एग्रीकल्चर एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड के बीच में भांग के गुणों पर शोध करने को लेकर समझौता हुआ है। दोनों के विज्ञानी इस पर शोध कर कई गंभीर बीमारियों की दवाइयां बनाने का प्रयास करेंगे।
कानपुर: भांग औषधीय गुणों से भरपूर होती है, लेकिन यह नशे के लिए बदनाम है। इसमें कई गंभीर बीमारियों के इलाज के गुम छिपे होते हैं। भांग में बहुत सारे हेल्थ बेनिफिट्स हैं और इसमें कैनाबिनोइड नाम का तत्व पाया जाता है। इन गुणों को देखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के विज्ञानी अब इस पर शोध करने जा रहे हैं। दवा कंपनी नीश एग्रीकल्चर एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड के साथ मिलकर इसके शोध पर कार्य किया जाएगा। सीमित मात्रा में किया गया भांग का सेवन दिमाग के लिए फायदेमंद होता है।
गंभीर बीमारियों से निजात दिलाएगी भांग
कैंसर, मिर्गी, माइग्रेन, पुराने सिरदर्द, गठिया व अनिद्रा जैसी गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने के लिए भांग के इन्हीं गुणों पर शोध कर बेहतर दवाएं विकसित करने की कोशिश की जाएगी। IIT के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर और कंपनी के चेयरमैन हरिशरण देवगन के बीच भांग के गुणों पर शोध करने को लेकर करार (MoU) किया गया है। दवा कंपनी नीश एग्रीकल्चर एंड फार्मास्युटिकल लिमिटेड के चेयरमैन के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के साथ एमओयू होने के बाद स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मिलकर शोध किया जाएगा और भांग (कैनबिस) के गुणों से बेहतर दवाएं बनाने पर भी काम किया जाएगा।
भांग पर शोध कर बनेंगी दवाई
हरिशरण देवगन ने बताया कि गांजा की खेती और बायो इंजीनियरिंग क्षेत्र में विकास के लिए भी IIT के साथ ही टिशू कल्चर तकनीक पर सहयोग मिलेगा। स्वदेशी भांग के बीजों को तैयार करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय नियमों के तौर पर नई भांग की खेती करने का आधार भी तैयार किया जाएगा। निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि दोनों के बीच हुए इस करार के जरिए बायोटेक उद्योग में अनुसंधान और विकास की नींव रखी जाएगी। भारतीय संस्कृति में भांग को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। हालांकि लोगों को अभी तक इसके बारे में सीमित ज्ञान है।