सार

पूर्वोत्तर रेलवे में टिकट पर अतिरिक्त भुगतान को लेकर एक यात्री ने 21 सालों तक केस लड़ा। उससे टिकट पर 20 रुपए अतिरिक्त लिए गए थे। वहीं मामले का फैसला आने के बाद रेलवे ने फिर इस मामले को चुनौती दी है। 

लखनऊ: पूर्वोत्तर रेलवे के बुकिंग क्लर्क ने मथुरा निवासी तुंगनाथ चतुर्वेदी से टिकट पर 20 रुपए अतिरिक्त ले लिए थे। इस मामले को लेकर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग मथुरा में 21 साल तक रेलवे से केस लड़ा। आयोग की ओर से मामले में 5 अगस्त 2022 को यात्री के पक्ष में फैसला सुनाया गया। इसके बाद आदेश दिया गया कि पूर्वोत्तर रेलवे एक माह के भीतर यात्री को 20 रुपए पर 12 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से हर्जाना और मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार रुपए यात्री को भुगतान करे। 

रेलवे के क्लेम ट्रिब्यूनल से ली जा सकती थी वापसी
इस मामले को लेकर पूर्वोत्तर रेलवे ने आदेश के खिलाफ 29 नवंबर 2022 को राज्य उपभोक्ता आयोग लखनऊ में अपील दाखिल की है। यहां से उसे स्टे ऑर्डर मिल गया है। वहीं इस मामले में प्रतिवादी को भी नोटिस जारी किया गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि इस मामलों के लिए रेलवे का क्लेम ट्रिब्यूनल है। वहां पर आवेदन के बाद यात्री किराए की वापसी को नियमानुसार ले सकता था। हालांकि इस मामले में जो किया जाना था वह नहीं किया गया। 

सालों की लंबी लड़ाई के बाद आया था फैसला
फिलहाल 20 रुपए के लिए यात्री की ओर से लड़ी गई 21 साल तक की लड़ाई अभी और भी लंबा चलने की उम्मीद जताई जा रही है। यात्री ने 20 रुपए और सिस्टम की लापरवाही को लेकर यह शिकायत की थी। जिसके बाद उसे 21 साल की लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। हालांकि इस मामले में जब जिला उपभोक्ता आयोग मथुरा की ओर से फैसला सुनाया गया तो रेलवे ने राज्य उपभोक्ता आयोग लखनऊ में अपील कर दी। जहां से रेलवे को स्टे मिल गया। फिलहाल अब देखना होगा कि यात्री को इस मामले में आगे कब न्याय मिल पाता है। वहीं सिस्टम के खिलाफ की गई शिकायत और उसके ऐसे परिणाम को लेकर लोगों ने भी नाराजगी देखने को मिल रही है। 

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