सार

धर्मनगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार सुबह गंगा घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर डुबकी लगाई

वाराणसी(Uttar Pradesh ). धर्मनगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर मंगलवार सुबह गंगा घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर डुबकी लगाई। काशी में गंगा, वरुणा,गोमती, सरस्वती व धूतपापा नदियों पर में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा। यहां सात किमी लंबे 90 से अधिक घाटों पर देव दीपावली मनाई जा रही है। सुरक्षा की भी चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है। घाटों पर NDRF की टीम भी मौजूद है ताकि किसी प्रकार के अप्रिय घटना से तुरंत बचाव किया जा सके। 

 बता दें काशी में मंगलवार को  कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा हुए हैं। श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर स्नान कर पूजा अर्चना की। मान्यता है कि आज के दिन भगवान शंकर द्वारा त्रिपुरासुर का वध करने के बाद देवताओं ने काशी में स्नान किया था। तभी से ये दिन देव दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। काशी में सुबह से ही घाटों पर दूर दूर तक आस्था का रेला लगा रहा और लोगों ने घाट पर दान-पुण्य के साथ ही कार्तिक मास पर्यंत पूजन अनुष्ठानों का भी पारण कर वर्ष भर के लिए समृद्धि की कामना की।

पंचगंगा घाट पर स्नान करने से मिलता है पांच नदियों का पुण्य 
मान्यता है कि काशी के पंचगंगा घाट पर स्नान करने से पांच नदियों का पुण्य मिलता है। यहां पांच नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती, धूतपापा और वरुणा नदी का संगम है। मान्यता है कि महादेव ने जब त्रिपुरासुर असुर का वध किया था तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन इसी पंचगंगा संगम पर देवताओं ने स्नान कर दीपोत्सव मनाया था। तभी से यह परंपरा जारी है। 

अहिल्याबाई ने बनवाया था एक हजारा दीपक 
काशी के मंहत राजकुमार गिरी के मुताबिक़ अहिल्या बाई ने यहां पत्थरों की नक्कासीदार एक हजारा दीपक का निर्माण कराया था, जो इसी देव दीपावली वाले दिन जलाया जाता है। इतिहासकारों के मुताबिक़ अहिल्या बाई होलकर का इतिहास काशी में 1960 से 1985 के बीच का है। जब उन्होंने विश्ववनाथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया था। उनके अनुसार इसी काल खंड में उन्होंने हजारा दीपक भी बनवाया था।