सार

कोयले की कमी के चलते अगस्त में बिजली संकट गहराने की आशंका जताई जा रही है। इसी के साथ उम्मीद यह भी है कि आने वाले दिनों ने प्रति यूनिट बिजली की दरों में इजाफा हो सकता है। 

लखनऊ: विदेशी कोयला न लेने पर केंद्र सरकार के घरेलू कोयले के आवंटन में 30 फीसदी कटौती करने के निर्णय के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया है। आयोग में याचिका दाखिल कर परिषद ने कहा है कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जाए। इसी के साथ आयोग ने राहत न मिलने पर परिषद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाने तक विचार की बात कही है। 

नियामक आयोग में दाखिल हुई याचिका 
घरेलू कोयले में उपलब्धता की कमी के चलते केंद्र सरकार ने राज्यों को आवश्यकता का 10 फीसदी विदेशी कोयला लेने के लिए कहा है। केंद्र की ओर से स्पष्ट तौर पर कहा गया कि सात जून तक विदेशी कोयला लेने की सहमति न जताने वालों को घरेलू कोयले के आवंटित कोटे 30 फीसदी की कटौती की जाएगी। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने केंद्र के इस फैसले के खिलाफ नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना आयोग का संवैधानिक दायित्व है।

परिषद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का भी कर रही विचार 
परिषद अध्यक्ष के अनुसार केंद्र के निर्णय पर यदि जनहित का ख्याल करते हुए रोक न लगाई गई तो ऐसे में उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी। इसी के साथ परिषद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर भी विचार कर रहा है। आपको बता दें कि राज्य सरकार, विदेशी कोयला न लेने का निर्णय पहले ही कर चुकी है। इसी के साथ घरेलू से लगभग 10 गुणा ज्यादा महंगा विदेशी कोयला होने से प्रति यूनिट एक रुपए बिजली महंगी होने का अनुमान जताया जा रहा है। विदेशी कोयला खरीदने पर लगभग 11 हजार करोड़ रुपए बिजली कंपनियों को चाहिए होंगे। 

कोयला कम मिलने के बाद भी उत्पादन नहीं हो रहा प्रभावित
कोयले की कटौती को लेकर अगस्त में बिजली संकट गहराने की आशंका है। वैसे ही आवंटित कोटे का लगभग 30 फीसदी कम कोयला ही राज्य के बिजली उत्पादन गृहों को वर्तमान में मिल रहा है। जहां प्रतिदिन 17 रैक कोयला मिलना चाहिए वहां सिर्फ 12 रैक ही कोयला मिल रहा है। ऐसे में नियमानुसार स्टाक भी नहीं हो पा रहा है। हालांकि इस बीच भी बिजली का उत्पादन प्रभावित न हो इसका खास ख्याल रखा जा रहा है। 

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