सार
धार्मिक नगरी काशी में इस बार कई दुर्गा पंडालों में विज्ञान और धर्म का समागम दिख रहा है। वजह ये है कि वाराणसी के कुछ दुर्गा पूजा पंडाल इस बार इसरो और चंद्रयान के आकार में बने हुए है। आस्था और विज्ञान का यह संगम लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहा है। कुछ दुर्गापूजा पंडालों के गेट पर भक्तों का स्वागत करने के लिए खड़े एस्ट्रोनॉट्स भी लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं।
वाराणसी.( UTTAR PRADESH ). धार्मिक नगरी काशी में इस बार कई दुर्गा पंडालों में विज्ञान और धर्म का समागम दिख रहा है। वजह ये है कि वाराणसी के कुछ दुर्गा पूजा पंडाल इस बार इसरो और चंद्रयान के आकार में बने हुए है। आस्था और विज्ञान का यह संगम लोगों को अपनी ओर खूब आकर्षित कर रहा है। कुछ दुर्गापूजा पंडालों के गेट पर भक्तों का स्वागत करने के लिए खड़े एस्ट्रोनॉट्स भी लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस बार दुर्गा पूजा का अंदाज ही अनोखा है। यहां के अर्दली बाजार के न्यू डिलाइट क्लब की ओर से इस बार चंद्रयान की तर्ज पर दुर्गा पंडाल सबका मन मोह रहा है। पंडाल के गेट पर खड़े एस्ट्रोनॉट्स लोगों के स्वागत में फूल बरसा रहे हैं। वैसे तो काशी का हर त्योहार अपने आप में विशेष तरह से मनाया जाता है। लेकिन इस बार दुर्गा पूजा के पंडाल लोगों का मन मोह रहे हैं।
दो महीने में बन कर तैयार हुआ पंडाल
दुर्गा पूजा समिति के राजू माहेश्वरी ने बताया कि अर्दली बाजार स्थित न्यू डिलाइट क्लब का देवी पंडाल को बनाने में लगभग दो माह क्क समय लगा। इसकी तैयारी अगस्त में ही शुरू कर दी गयी थी। पंडाल को इस बार चंद्रयान का आकार दिया गया है। करीब सौ फिट ऊंचे इस पंडाल को बनाने में तीन दर्जन कारीगरों को दो महीने का समय लगा। दो महीने की मेहनत के बाद जब इस पंडाल जब बनकर तैयार हुआ तो हूबहू ये चंद्रयान जैसा लग रहा है।
अंतरिक्ष जैसी झलक में देवी की मूर्ति स्थापना
शुक्रवार को इस पंडाल में देवी की मूर्ती स्थापित की गयी। जिस स्थान पर देवी की मूर्ति स्थापित की गयी है वो स्थान बिलकुल अंतरिक्ष जैसा लग रहा है। जिसमे चन्द्रमा और पूरा तारामंडल जैसा गेटअप तैयार किया गया है। चंद्रयान-2 की झलक पूरे पंडाल में नजर आ रही है। इस इलाके में खड़े होकर आपको ऐसा लगेगा जैसे कि पंडाल आपको अंतरिक्ष की सैर कराने को तैयार है।
वैज्ञानिकों का मान बढ़ाने के लिए बनाया गया चंद्रयान
क्लब अध्यक्ष मनोज कुमार अच्चू ने बताया कि दुर्गा पूजा समिति का ये 43वां साल है। हमने पंडाल को चंद्रयान-2 की शक्ल इसलिए दी कि ताकि हम अपने देश के वैज्ञानिकों का मान बढ़ा सके। लोगों की आस्था है कि चंद्रयान के अंदर जब देवी मां विराजेंगी तो चंद्रयान के अगले मिशन की सफलता के लिए जरूर आशीर्वाद देंगी ।