सार

इटावा में दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने आरोपियों के पक्ष में बयान देने पर नाराज कोर्ट ने दो दिन की सजा सुनाई है। साथ ही पांच सौ रुपए का अर्थदंड की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 के जज अवधेश कुमार ने अपनी बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाकर पलटने वाले पिता को सजा दी। 

इटावा: उत्तर प्रदेश के जिले इटावा में दुष्कर्म पीड़िता के पिता की तरफ से आरोपियों के पक्ष में बयान देने को लेकर नाराज एक अदालत ने शिकायतकर्ता को सजा सुनाई है। नाराज कोर्ट ने शिकायतकर्त्ता को दो साल समेत पांच सौ रुपए का जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए हैं। इसकी जानकारी अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को दी। इसके अनुसार दो दिन साथ पांच सौ रुपए की सजा विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 के जज अवधेश कुमार ने सुनाई है। 

ऊसराहार में 2012 में मुकदमा कराया गया था दर्ज
विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट कोर्ट संख्या-2 के जज अवधेश कुमार ने अपनी बच्ची के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाकर पलटने वाले पिता को दो दिन की सजा सुनाई है। इटावा के विशेष शासकीय अधिवक्ता रमाकांत चतुर्वेदी ने बताया कि थाना ऊसराहार में जागेश्वर दयाल ने 14 अगस्त 2012 को मुकदमा दर्ज कराया था कि गांव के ही रवि व अखिलेश ने उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। इस मामले में पुलिस ने एससीएसटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। 

आरोपितों के खिलाफ बयान पलटने को लेकर हुई सजा 
न्यायालय में आरोपित रवि व अखिलेश के तलब होने पर जागेश्वर दयाल ने यह साक्ष्य दिया कि गांववालों के कहने के अनुसार उसने एफआइआर दर्ज कराई थी। इस आधार पर 29 अक्टूबर 2020 को न्यायाधीश ने रवि व अखिलेश को दोष मुक्त मानते हुए बरी कर दिया था। तो वहीं दूसरी ओर जागेश्वर दयाल के खिलाफ अपना बयान पलटने को लेकर व आरोपितों के पक्ष में खड़े होने को लेकर मुकदमा चलाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए जागेश्वर दयाल को दो दिन की सजा व 500 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। 

वादी द्वारा साक्ष्य बदले जाने व प्रतिवादी के पक्ष में दिया बयान
अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए वादी द्वारा अपना साक्ष्य बदले जाने व प्रतिवादी के पक्ष में बयान देने पर वादी के खिलाफ ही न्यायालय में मुकदमा चलाने का आदेश दिया और दो दिन की सजा व 500 रुपये का अर्थदंड सुनाया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में न्यायालय ने हाईकोर्ट के हरिओम शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य केस के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें दुष्कर्म के मामले में उच्च न्यायालय ने पीड़िता के पक्षद्रोही होने पर पीड़िता से राज्य द्वारा मिली धनराशि की वसूली व मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था। 

फैसले से अब फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का नहीं करेंगे साहस
आगे बताते है कि इस मामले में भी जागेश्वर दयाल ने मुकदमा दर्ज कराए जाने के बाद भी न्यायालय में विपरीत साक्ष्य दिया है. उसने स्वेच्छा से अपना जुर्म स्वीकार कर लिया, जिसके बाद उसे धारा 344 के अंतर्गत दोषी पाया गया है। डीबीए के मीडिया प्रभारी व अधिवक्ता रामशरण सिंह यादव ने बताया कि न्यायालय के इस फैसले से फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वालों में भय व्याप्त होगा। इससे अब लोग एससीएसटी एक्ट में फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का साहस नहीं करेंगे। 

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