सार

गोरखपुर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति ने 61वीं बार रेलवे यूनियन का चुनाव जीता है। केएल गुप्ता आज भी नरमू ऑफिस में रहते हैं और रेल कर्मियों को अपना परिवार मानते हैं। वह सबसे अधिक उम्र के पेंशनभोगी बन चुके हैं।

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का देश की आजादी में अहम योगदान है। केएल गुप्ता अतीत की तमाम अच्छी-बुरी यादों को अपने जहन में समेटे हैं। गोरखपुर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति केएल गुप्ता 106 वर्ष के हैं। इस उम्र में भी शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रेलवे से रिटायर केएल गुप्ता को देखकर आपको उनकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल होगा। वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब उन्होंने रेलवे में नौकरी ज्वाइन की थी। इसके पहले वह सेना में भी 10 साल नौकरी कर चुके हैं। केएल गुप्ता वर्ष 1981 में रेलवे से रिटायर हुए थे। तब से लेकर अभी तक वह सबसे अधिक उम्र के पेंशन बोगी होने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करवा चुके हैं।

61वीं बार चुने गए महामंत्री
106 साल की उम्र वाले केएल गुप्ता एनई रेलवे मजदूर यूनियन के 61वीं बार महामंत्री चुने गए हैं। वह रेलकर्मियों के संघर्षों को आज भी जिंदा रखने के लिए जाने जाते हैं। पिछले कई दशकों से केएल गुप्ता अपने घर न जाकर नरमू दफ्तर में ही रहा करते हैं। उनका परिवार गोरखपुर में ही दूसरी जगह पर रहते हैं। केएल गुप्ता के लिए नरमू दफ्तर ही उनका घर है और रेलकर्मी परिवार के सदस्य हैं। बताया गया है कि नरमू दफ्तर में ही उन्होंने अपनी छोटी सी दुनिया बसा ली है। जहां पर उनका रहना, खाना और सोना होता है। केएल गुप्ता का ऑफिस साल के 365 दिन खुला रहता है। 

सुबह 3 बजे से होती है दिन की शुरुआत
वह रेलकर्मियों के संघर्षों पर खुलकर आवाज उठाते हैं और उनके हितों के लिए लड़ते हैं। वह अनुशासन और जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। केएल गुप्ता के अनुसार, जब तक उनके कानों में रेलगाड़ी की सीटी की आवाज और रेलकर्मियों के चेहरे पर मुस्कान नहीं देखते तब तक उन्हें चैन की नींद नहीं आती है। वह सुबह 3 बजे से अपने दिन की शुरुआत करते हैं। खाने में वह सिर्फ दो वक्त दो रोटी और थोड़ी सी दाल लेते हैं। केएल गुप्ता ने पूर्व रक्षामंत्री जार्ज फर्नाडीज, पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के साथ भी काम किया है।

आजादी की हर बात है याद
केएल गुप्ता आजादी के अमृत महोत्सव को देखकर कहते हैं कि आजादी से पहले लोग अपना तिरंगा घर में लगाने और साथ लेकर चलने के लिए बेकरार रहते थे, तो वहीं आज सरकार को इस काम के लिए लोगों को जागरुक करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि 75 सालों में यही सबसे बड़ा फर्क उन्हें दिखा है। इसके अलावा केएल गुप्ता का बताते हैं कि चौरीचौरा संग्राम हो या फिर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल में हुई फांसी, गांधी जी, लोकनायक जयप्रकाश नारायण का भाषण हो या फिर दिवंगत महंत दिग्विजय नाथ का क्रांतिकारियों का समर्थन उन्हें हर बात आज भी बखूबी याद है।

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