सार

यूपी के फतेहपुर जिले के हथगाम थाना क्षेत्र में बृहस्पतिवार को एक दलित किसान ने जंगल में पेड़ से फंदा लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। इसकी जानकारी को मृतक किसान के परिजनों ने पुलिस को दी। परिजनों ने बताया कि जिस भूमि पर कई सालों से खेती करके पेट पाल रहा था, राजस्वकर्मियों ने उसे ही तालाब बताकर खुदाई कर दी।

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सत्ता में दोबारा वापसी में आने के बाद राज्य के किसानों के लिए नई-नई स्कीमें लाकर उन्हें लाभ पहुंचाने में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी ओर विभागीय अफसरों की ओर से लापरवाही के चलते किसानों की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। ऐसा ही मामला राज्य के फतेहपुर जिल से सामने आया है। जहां एक किसान ने जंगल में पेड़ से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान के परिजनों ने आरोप लगाया है कि बीते कई दिनों से वह परेशान चल रहा था। इसकी वजह राजस्वकर्मी है क्योंकि सालों से जिस भूमि पर खेती करके परिवार का पेट पाल रहा था। उस जमीन को तालाब बताकर खुदाई कर दी। 

कई सालों से किसान भूमि पर करता था खेती  
जानकारी के अनुसार जिले के हथगाम थाना क्षेत्र का मामला है। गुरुवार को एक दलित किसान ने पेड़ में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। इसकी जानकारी पुलिस ने दी।  हथगाम थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) अश्वनी सिंह ने बताया कि थाना क्षेत्र के कसेरुवा गांव निवासी किसान छेद्दू (63) द्वारा आत्महत्या करने की जानकारी उसके परिजनों ने दी। उन्होंने बताया कि बाद में परिजनों ने आरोप लगाया कि मृतक बीते कई सालों से जिस भूमि पर खेती करके परिवार का पेट पाल रहा था, उसे राजस्व कर्मियों ने तालाब (जलमग्न) बताकर खुदाई करा दी, जिससे वह परेशान हो गया। इसी के चलते उसने फांसी लगा कर जान दे दी। एसएचओ ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। मामले की जांच की जा रही है।

झांसी में भी किसान ने किया था सुसाइड
बता दें कि बीते दिन झांसी में भी एक किसान ने खेत में पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली थी। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी मिला है। उसने अपनी मौत के लिए तहसील के लेखपाल और कानूनगो को जिम्मेदार ठहराया है। पेड़ से किसान का शव लटकता देख अन्य किसानों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। इसके साथ भी खेत की जमीन को लेकर ही अफसर गलत कार्रवाई कर रहे थे। जिसके चलते उसको दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे थे। मृतक किसान ने अपनी मौत के लिए तहसील के लेखपाल और कानूनगो को जिम्मेदार ठहराया था। वहीं किसान के बेटे ने बताया था कि दोनों अधिकारियों की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर और जिलाधिकारी से की गई। इस प्रकार की और भी घटनाएं हुई है, जहां किसान को आत्महत्या के लिए मजबूरी में कदम उठाना पड़ा।

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