सार
लखनऊ स्थित लुलु मॉल में नमाज पढ़े जाने का वीडियो वायरल होने के बाद नमाजियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है क्योंकि सार्वजनिक स्थलों पर पूजा-पाठ या नमाज अदा करने पर पाबंदी है। अज्ञातियों के खिलाफ धारा 153A, 295A, 341 समेत कई अन्य धाराओं में FIR दर्ज हुई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 जुलाई को लुलु मॉल का उद्घाटन सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया था। उसके बाद 11 जुलाई से आम व्यक्ति का आवगमन शुरू हुआ। लेकिन बुधवार को वायरल हुए वीडियो पर कुछ लोग नमाज अदा करते हुए नजर आए। इन लोगों पर एक्शन लेते हुए सुशांत गोल्फ सिटी स्थित लुलु मॉल में नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मॉल के जनसंपर्क अधिकारी ने सुशांत गोल्फ सिटी थाने में गुरुवार की रात केस दर्ज कराया है। धारा 153A, 295A, 341 समेत कई अन्य धाराओं में FIR दर्ज हुई है।
लुलु मॉल के जनसंपर्क अधिकारी ने दर्ज कराई एफआईआर
नमाज पढ़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर बुधवार को वायरल हुआ था। एडीसीपी दक्षिण राजेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार लुलु मॉल के जनसंपर्क अधिकारी सिब्तैन हुसैन ने गुरुवार की शाम को सुशांत गोल्फ सिटी थाने में तहरीर दी। इसमें आरोप लगाया है कि मॉल परिसर में बिना अनुमति के कुछ लोगों ने नमाज पढ़ी जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो की जांच कराई गई जो राजधानी के लुलु मॉल का ही निकला। इसके बाद जनसंपर्क अधिकारी सिब्तैन हुसैन ने पुलिस से शिकायत की। उन्होंने बताया कि नमाज पढ़ने वालों में मॉल का कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है। तहरीर के आधार पर अज्ञात नमाजियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
वायरल वीडियो के बाद हिंदू संगठन लगातार कर रहा विरोध
तो वहीं दूसरी ओर लुलु मॉल में नमाज पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठन लगातार विरोध कर रहा है। अखिल भारत हिन्दू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने कहा कि अगर मॉल में दोबारा नमाज पढ़ी जाएगी तो विवश होकर मॉल में सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। हनुमानगढ़ी के पुजारी राजूदास ने इसे लव जिहाद का नया अड्डा बताकर विवाद और बढ़ा दिया है। उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी कहा कि यहां कर्मचारियों की नियुक्ति भी विशेष तरीके से की गई है। इसके अलावा गुरुवार को लुलु मॉल के महाप्रबंधक समीर वर्मा ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा कि लुलु मॉल सभी धर्मों का आदर करता है। लेकिन किसी भी प्रकार के संगठित धार्मिक कार्य या प्रार्थना की यहां अनुमति नहीं दी जाती है।