सार
यूपी में प्रवासी श्रमिकों का आना जारी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में अभी तक तकरीबन 25 लाख प्रवासी श्रमिक/कामगार वापस आ चुके हैं । प्रवासी श्रमिकों के लिए योगी सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। एक ओर उन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है दूसरी ओर वापस आने के बाद उन्हें राशन और आर्थिक मदद दी जा रही है।
लखनऊ(Uttar Pradesh). यूपी में प्रवासी श्रमिकों का आना जारी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में अभी तक तकरीबन 25 लाख प्रवासी श्रमिक/कामगार वापस आ चुके हैं । प्रवासी श्रमिकों के लिए योगी सरकार तमाम योजनाएं चला रही है। एक ओर उन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास जारी है दूसरी ओर वापस आने के बाद उन्हें राशन और आर्थिक मदद दी जा रही है। हांलाकि कुछ जिलों में ये केवल कागजों तक ही सीमित है। एशियानेट न्यूज हिंदी ने यूपी के बाहर से आने वाले कुछ प्रवासी श्रमिकों से बात कर उनकी वापस आने से लेकर यहां आने के बाद तक की सुविधाओं व परेशानियों के बारे में जानने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि यूपी में आने के बाद ही लगा कि हम अब अपने घर आ गए।
यूपी की योगी सरकार द्वारा अपने श्रमिकों को वापस लाने के लिए काफी प्रयास किए गए। दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी श्रमिकों को वापस लाने के लिए उन राज्यों की सरकारों की भी मदद ली गई। वहां से उनका रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद उन्हें ट्रेन से वापस लाया गया। यहां स्टेशन पर उनकी थर्मल स्कैनिंग कर उन्हें बस से उनके घर को रवाना किया गया। यूपी में उन्हें खाने के लिए भोजन व पानी भी मुहैया करवाया गया। हांलाकि इस यात्रा में उन्हें काफी परेशानियां भी उठानी पड़ी।
दो दिन भूखे रहने के बाद मिला भोजन
जौनपुर के बादशाहपुर के रहने वाले राजेन्द्र यादव मुम्बई के प्रेमनगर में रहते थे। लॉकडाउन में जब काम-धंधा बंद हुआ तो खाने के लाले पड़ गए। वह उनके साथ उन्ही के गांव के चार और लोग भी साथ रहते थे। इसी दौरान किसी ने बताया कि स्थानीय पुलिस चौकी पर लोगों को वापस भेजने के लिए फ़ार्म भरा जा रहा है। वह भी चौकी पर पहुंच कर फ़ार्म भरे। तीन दिन बाद उन्हें पुलिस चौकी से बताया गया कि अगले दिन 2 बजे उनकी ट्रेन है। वह अपने चारों साथियों के साथ पुलिस चौकी पर गए। वहां से उन्हें बस से वीटी स्टेशन भेजा गया। इसके लिए बस का किराया प्रति व्यक्ति 20 रूपए लिया गया। वहां ट्रेन पर बैठने के पहले 630 रूपए की टिकेट लेनी पड़ी। जिसके बाद उन्हें ट्रेन से प्रतापगढ़ लाया गया। हांलाकि इस दौरान उन्हें खाना पानी भी नसीब नही हुआ। ट्रेन से प्रतापगढ़ उतरते ही उन्हें प्रशासन द्वारा भोजन व पानी दिया गया। भोजन के बाद उन्हें जौनपुर की बस पर बैठाया गया और निःशुल्क जिले के एक डिग्री कालेज में बने क्वारंटीन सेंटर में छोड़ा गया। वहां जांच के बाद उन्हें 15 किलो राशन व 1000 रूपए दिए गए। जिसके बाद उन्हें 21 दिन तक घर में रहने को कहा गया।
यूपी में आने के बाद ही मिली सुविधाएं
फैजाबाद के महेंद्र के मुताबिक वह मुम्बई के थाणे इलाके में रहते हैं। उन्होंने भी पुलिस चौकी से फार्म लेकर भरकर जमा किया। फ़ार्म जमा करने के 7 दिनों के बाद उनका नम्बर आ गया। उन्हें फोन आया कि कल रात 9 बजे ट्रेन है। उसके बाद वह पुलिस चौकी पहुंचे और 20 रूपए का टिकट लेकर बस से रेलवे स्टेशन आए। वहां से उन्होंने 630 रूपए का टिकट लिया और ट्रेन से प्रतापगढ़ आए। महेंद्र बताते हैं कि वह जब कानपुर पहुंचे थे तभी उन्हें स्टेशन पर कुछ लोगों द्वारा भोजन और पानी दिया गया। वह सभी को भोजन व पानी बांट रहे थे। प्रतापगढ़ आने के बाद प्रशासन ने उन्हें भोजन व पानी दिया। जिसके बाद उन्हें बस से उनके घर के नजदीकी बाजार के पास बने क्वारंटीन सेंटर तक भेजा गया। वहां जांच के बाद उन्हें 21 दिन तक घर में ही रहने को कहा गया। उन्होंने बताया कि उन्हें न तो कोई राशन दिया गया और न ही पैसा।
सरकार की सुविधाएं बनी संजीवनी
गुजरात के सूरत में एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वाले प्रतापगढ़ के रहने वाले विकी सिंह ने बताया कि गुजरात में बताया गया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हो रहा है। हमने यूपी सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया। तीन दिन बाद मोबाईल में मेसेज आया कि कब और कितने बजे कहां से ट्रेन मिलेगी। हम स्टेशन पहुंचे और वहां से ट्रेन से प्रतापगढ़ आ गए। यहां आने के बाद हमारी स्कैनिंग हुई और स्टेशन पर प्रशासन द्वारा भोजन-पानी दिया गया। वहां से बस से हमें घर से 3 किमी दूर एक क्वारंटीन सेंटर में ले जाया गया। वहां जांच के बाद हमे 15 किलो जिसमे गेहूं, चावल व चना था दिया गया। इसके अलावा हमारा एकाउंट नम्बर व आधार कार्ड की डिटेल मांगी गई। बताया गया कि सरकार द्वारा कुछ आर्थिक मदद दी जानी है । हांलाकि अभी तक पैसा नही आया है लेकिन हमें राशन देकर सुरक्षित घर भेजा गया।