सार
यूपी के लखनऊ में स्थित टीले वाली मस्जिद मामले में निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने के लिए वादी पक्ष ने रिवीजन अर्जी दाखिल की थी। इस रिवीजन अर्जी पर 21 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी। मस्जिद को हटाकर इसका कब्जा हिंदुओं को देने की मांग की गई है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित टीले वाली मस्जिद के मामले पर निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई अर्जी रिवीजन पर गुरूवार को प्रतिवादी पक्ष की तरफ से पुनः की गई बहस पूरी हो गई है। वहीं एडीजे प्रफुल्ल कमल ने वादी पक्ष की बहस के साथ ही अर्जी के निस्तारण की अगली डेट भी दे दी है। बता दें कि अब इसके लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की गई है। प्रतिवादी हिंदू पक्ष के वकील शेखर निगम ने बहस के दौरान रिवीजन अर्जी की पोषणीयता पर सवाल उठाए हैं।
वादी पक्ष ने रिवीजन अर्जी पर बहस के लिए मांगा समय
वकील शेखर निगम ने इस अर्जी को खारिज करने की मांग की है। वहीं रिवीजन दाखिल करने वाले वादी पक्ष की तरफ से अर्जी पर बहस करने के लिए समय की मांग की गई है। बता दें कि साल 2013 में निचली अदालत में एक वाद दाखिल किया गया था। जिसमें मस्जिद को हटाकर इसका कब्जा हिंदुओं को देने की मांग की गई है। वाद में कहा गया है कि यह पूरा परिसर जहां पर वर्तमान में मस्जिद बनी हुई है, यह शेषनाग टीलेश्वर महादेव का स्थान है। इसलिए यहां पर हिंदुओं को पुजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए और उनके दर्शन में किसी भी तरह की बाधा डालने वालों को भी रोका जाना चाहिए।
निचली अदालत के आदेश को दी गई थी चुनौती
इसके बाद निचली अदालत ने 25 सितंबर 2017 को इस वाद के खिलाफ प्रतिवादी पक्ष की ओर से दाखिल आपत्ति को खारिज कर दिया था। निचली अदालत के इसी आदेश को चुनौती देने के लिए रिवीजन अर्जी दी गई है। यह वाद लार्ड शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव विराजमान, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीरथ भूमि, डॉ. वीके श्रीवास्तव, रामरतन मौर्य, वेदप्रकाश त्रिवेदी, चंचल सिंह, दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार व धनवीर सिंह की तरफ से दाखिल किया गया था।
इन सदस्यों को बनाया गया पक्षकार
बता दें कि इस वाद में युनियन आफ इंडिया जरिए सचिव गृह मंत्रालय, आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया की लखनऊ सर्किल, स्टेट आफ यूपी जरिए प्रमुख सचिव गृह, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस महानिदेशक उप्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ, पुलिस अधीक्षक पश्चिम लखनऊ, इंसपेक्टर चौक व सुन्नी सेंट्रल बोर्ड आफ वक्फ जरिए चीफ एग्जीक्यूटिव आफीसर के साथ ही मौलाना फजुर्लरहमान को पक्षकार बनाया गया है। वहीं मौलाना फजुर्लरहमान की मौत के बाद अदालत ने 18 जुलाई 2017, को उनके विधिक उत्तराधिकारी मौलाना फजलुल मन्नान को प्रतिवादी स्थापित करने का आदेश दिया था।
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