सार
दिल्ली के हिंदू रिफ्यूजी कैंप में रह रहे नेहरू राम से Asianet News Hindi ने बातचीत किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में हिन्दू परिवारों के शवों को जलाने में भी पाबंदी है। नेहरूराम 2013 में वीजा लेकर किसी तरह दूसरे शरणर्थियों के साथ भारत आ गए थे
नई दिल्ली. पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसमें सबसे पीड़ादायक और अपमानजनक स्थिति महिलाओं पर होने वाली उत्पीड़न की घटनाएं हैं। दिल्ली के हिंदू रिफ्यूजी कैंप में रह रहे नेहरू राम से Asianet News Hindi ने बातचीत किया। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में हिन्दू परिवारों के शवों को जलाने में भी पाबंदी है। नेहरूराम 2013 में वीजा लेकर किसी तरह दूसरे शरणर्थियों के साथ भारत आ गए थे।
नेहरूराम ने बताया, "पाकिस्तान के सिंध हैदराबाद इलाके में हमारा घर था। हम वहां दूसरों की बाग़ खरीदते थे। आम के बाग़ व खरबूजे की फसल खरीदना हमारा व्यवसाय था। लेकिन कट्टरपंथी मुसलमानों की वजह से हमे अपनी फसलें बेचना भी भारी पड़ जाता था। फसलों का दाम भी उचित नहीं मिलता था। आए दिन जबरन वसूली, लूटपाट की घटनाओं का सामना करना पड़ता था।"
लाश को जलाने पर भी है पाबंदी
नेहरूराम ने बताया, कि वहां हिन्दू शवों को जला भी नहीं सकते। कट्टरपंथी मुसलमान कहते हैं कि लाश जालाओगे तो बदबू आएगी। इसलिए जैसे इस्लाम धर्म में दफनाने की प्रथा है उसी तरह दफनाओ। शव को कतई जलाना नहीं है। काफी मिन्नतों के बाद कहीं कोई शव अगर जलाने के लिए परमीशन मिल जाए तो बड़ी बात होती थी।
हिन्दू जानते ही मंडियों में नहीं मिलता था उचित दाम
नेहरूराम ने बताया, कि पाकिस्तान की मंडियों में हमारी फसलों का सही दाम नहीं मिलता था। ये केवल इसलिए होता था क्योंकि हम हिन्दू थे। इसके आलावा हम दूसरों के बटाई पर लेकर उसमे दिनरात काम करते थे। लेकिन हमारी फसलों का दाम देने में वहां के व्यापारियों को दिक्क्त होती थी। कटटरपंथियों की वजह से वहां हमारा जीना मुहाल था।
अभी भी एक भाई पाकिस्तान में
नेहरू राम ने बताया कि वह 7 भाई हैं। साल 2013 में उनके 6 भाइयों माता-पिता व पत्नी को बीजा मिल गया था। लेकिन उनके सबसे छोटे भाई को वीजा नहीं मिल सका था। जिसके कारण वह आज भी पाकिस्तान में है। हालांकि उसने वीजा के लिए अप्लाई किया है। उम्मीद है कि अगले 6 महीने में वह भी भारत में होगा।
क्या है संशोधित नागरिकता कानून?
संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के बाद पड़ोसी देशों से भागकर भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। ये नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और फारसी धर्म के लोगों को दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो एक से छह साल तक भारत में रहे हों। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी है।