सार
लखनऊ में ठाकुरगंज के मुसाहिबगंज में बुधवार की शाम को कुत्तों ने दो बच्चों पर हमला कर दिया था। जिसमें एक बच्चें की मौत हो गई। इस घटना के बाद मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। इसको गंभीर करार देते हुए नगर आयुक्त को जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में बुधवार की शाम को कुत्तों ने दो बच्चों पर हमला कर दिया था। जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई। इस हादसे में एक परिवार के भाई-बहन शिकार हो गए। इसी के विरोध में लोग मैदान में उतर आए थे। गुरुवार को नगर निगम की टीम मुसाहिबगंज पहुंची। साथ ही मानवाधिकार आयोग ने भी इस पर संज्ञान ले लिया है। आयोग ने इस प्रकरण को अति गंभीर करार देते हुए नगर आयुक्त को स्वयं जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
रात में प्रहरी करने वाले कुत्ते बन रहे हमलावर
शहर के मुसाहिबगंज इलाके में गुरुवार को नगर निगम की टीम पहुंची। वहां 48 कुत्तों को टीम ने पकड़ लिया है। कुत्तों को पकड़ने का अभियान चलाने की तैयारी है। इस घटना के बाद नगर निगम महकमा जाग गया है। इस हादसे के बाद ऐसा कहा जा सकता है कि रात के प्रहरी माने जाने वाले कुत्ते अब खतरा बन रहे हैं। रात में दो पहिया वाहन से आना-जाना खतरे से खाली नहीं रहता है और कुत्ते दूर तक दौड़ा लेते हैं। जिसकी वजह से असंतुलित होकर लोग वाहन समेत सड़क पर गिर जाते हैं और कुत्तों के हमले के शिकार बन जाते हैं।
हाई कोर्ट ने दिए थे कुत्तों को लेकर निर्देश
बता दें कि कुछ साल पहले इलाहाबाद उच्च न्यायानय की लखनऊ पीठ ने एक याचिका पर आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या पर नाराजगी जताई थी। नगर निगम को हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पकड़े जाने तथा उनका इलाज कर खतरनाक प्रवृत्ति को सुधारे जाने के निर्देश दिए थे। लेकिन इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीठ ने यह भी कहा था कि कुत्तों की शहर में लगभग कितनी संख्या है यह बताने के साथ ही उनकी नसबंदी कराने को कहा था। तब नगर निगम ने कुत्तों की गणना कराई थी और शहर में 65 हजार कुत्तों का होना बताया था। इतना ही नहीं उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से भी कहा था कि वह नगर निगम को आवश्यक सहयोग प्रदान करे। उस याचिका में यह भी कहा गया था कि आवारा कुत्तों ने कई बच्चों को नोच डाला है जिसकी वजह से समाज में खतरा पैदा हो रहा है।
एनिमल बर्थ कंट्रोल एंड डॉग रूल्स के तहत कुत्तों को नही मार सकते
नगर निगम के संयुक्त निदेशक पशु कल्याण डॉ. अरविंद राव का कहना है कि हर दिन सत्तर से सौ कुत्तों को पकड़ कर कुकरैल के पास जरहरा में बने चिकित्सालय में उनकी नसबंदी की जाती है। उन्होंने बताया कि अभी तक 35 हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। एनिमल बर्थ कंट्रोल एंड डॉग रूल्स 2001 के तहत कुत्तों को मारा नहीं जा सकता बल्कि उनका इलाज कर उनकी खतरनाक प्रवृत्ति नष्ट की जा सकती है। डॉग रूल्स के नियमों के तहत जिस इलाके से कुत्ता पकड़ा जाता है उसे नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी इलाके में ही छोड़ा जाता है जहां से उसे उठाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि दूसरे इलाके में वह दूसरे कुत्तों का शिकार होने से पागल हो सकता है।
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