सार

गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल सीट मानी जाती है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद नगर सीट पर बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव कानपुर के सांसद बने थे। 

सुमित शर्मा
कानपुर:
यूपी विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav) को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Ghandhi) के सहारे कांग्रेस (Cogress) पार्टी खुद को फिर से स्थापित करना चाहती है। लेकिन पार्टी के अंदर गुटबाजी हावी है, जिसका खामियाजा संगठन को उठाना पड़ रहा है। कानपुर में 10 विधानसभा सीटे (Vidhansabha seat) हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा गोविंद नगर विधानसभा सीट की है। बीजेपी (BJP) ने इस सीट की सियासी गणित को समझने के बाद लगातार कांग्रेस के गढ़ में कमल खिला रही है।

गोविंद नगर विधानसभा सीट की सियासी समीकरण को बीजेपी ने भालिभांति समझ लिया है। बीजेपी उसी थीम में चलकर लगातार कमल खिलाने में कामयाब हो रही है। गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल क्षेत्र है। गोविंद नगर सीट को यूपी की सबसे बड़ी विधानसभा सीटों में से एक थी। 2012 से पहले कांग्रेस पार्टी के अजय कपूर लगातार दो बार विधायक रहे। परिसीमन में गोविंद नगर सीट को दो टुकड़ों में बांट दिया गया। गोविंद नगर सीट से टूटने के बाद किदवई नगर विधानसभा सीट अस्त्तिव में आ गई। कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय कपूर ने 2012 का विधानसभा चुनाव किदवई नगर से लड़ कर जीत हासिल की थी।

गोविंद नगर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल सीट मानी जाती है। 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में गोविंद नगर सीट पर बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने जीत दर्ज की थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव कानपुर के सांसद बने थे। सत्यदेव पचौरी के सांसद बनने के बाद गोविंद नगर सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी के सुरेंद्र मैथानी ने कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर को हराया था। ब्राह्मण बाहुल सीट होने के बाद भी कांग्रेस ने क्षत्रीय प्रत्याशी को उतारा था।

गुटबाजी के बीच टिकट के कई दावेदार
पूर्व विधायक और एआईसीसी के राष्ट्रीय सचिव अजय कपूर कानपुर में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं। पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के बाद अजय कपूर का नाम आता है। अजय कपूर गोविंद नगर विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। इस लिए उनका किदवई नगर सीट के साथ ही गोविंद नगर सीट पर भी हस्ताक्षेप रहता है। पूर्व विधायक गोविंद नगर सीट पर अपने करीबियों को उतारते हैं, और उन्हे हार का सामना करना पड़ता है।

आलाकमान को करनी पड़ रही माथापच्ची
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी गुटबाजी देखने को मिल रही है। गोविंद नगर ब्राह्मण सीट होने के बावजूद भी करिश्मा ठाकुर टिकट की दावेदारी कर रही हैं। युवा छात्रनेता विकास अवस्थी टिकट के सबसे प्रबल दावेदार हैं। गोविंद नगर में मजबूत पकड़, युवाओं की फौज और भारी जनसर्थन के साथ दावेदारी कर रहे हैं। पूर्व विधायक अपनी करीबी शैलेंद्र दीक्षित को टिकट दिलाने के लिए पूरी ताकत से लगे हैं। कांग्रेस आलाकमान को भी इस सीट के लिए माथापच्ची करनी पड़ रही है।

कानपुर की 10 विधानसभा सीटों में से मात्र एक सीट पर ही कांग्रेस पार्टी जीत दर्ज कर पाई थी। कांग्रेस पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 52 सीटों में से 30 सीटों पर जीत का टारगेट लेकर चल रही है।

गोविंद नगर सीट पर जातिगत आकड़ा
गोविंद नगर सीट पर लगभग 01 लाख 49 हजार ब्राह्मण वोटर हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लगभग 85 हजार वोटर हैं। मुस्लिम वोटर 29 हजार, बढ़ई 32 हजार, पाल वोटर 17 हजार, यादव वोटर 16 हजार, पंजाबी सिंधी 14 हजार, क्षत्रीय और वैश्य 13-13 हजार, कुशवाहा लगभग 11 हजार के करीब हैं।