सार

इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में डॉक्टर संग्राम यादव की टक्कर निषाद पार्टी के समर्थित उम्मीदवार प्रशांत सिंह और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार से होगी। भारतीय जनता पार्टी से हुए गठबंधन के बाद यह सिर्फ निषाद पार्टी के खाते में गई है। 

रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़
: अतरौलिया विधानसभा सीट अपने आप में मायने रखती है। इस सीट पर ज्यादातर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा रहा है। वर्तमान में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री रहे बलराम यादव के पुत्र डॉक्टर संग्राम यादव इस सीट से विधायक हैं। बात अगर पार्टियों की करें तो इस सीट के लिए 1977 से अब तक हुए चुनाव में दो बार कांग्रेस पार्टी एक बार एलकेडी दो बार जनता दल चार बार समाजवादी पार्टी और दो बार बहुजन समाज पार्टी ने अपना परचम लहराया है। लेकिन इस बार 2022 के विधानसभा चुनाव में डॉक्टर संग्राम यादव की टक्कर निषाद पार्टी के समर्थित उम्मीदवार प्रशांत सिंह और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार से होगी। भारतीय जनता पार्टी से हुए गठबंधन के बाद यह सिर्फ निषाद पार्टी के खाते में गई है। 

जातिगत समीकरण
अगर अतरौलिया विधानसभा की जातिगत समीकरणों की बात करें तो यहां लगभग 70000 यादव, लगभग 55 हजार अनुसूचित जातियां, 35000 मुसलमान, लगभग 35 से 40000 निषाद, लगभग 50 हजार के करीब ब्राह्मण और लगभग 40 हजार के करीब राजपूत इस क्षेत्र में रहते हैं। 

अतरौलिया विधानसभा की समस्या
आजमगढ़ जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर अतरौलिया विधानसभा में अगर समस्याओं की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने तार हैं जो लोगों की समस्या का प्रमुख कारण है इसके अलावा यहां की मुख्य समस्याओं में रोजगार के लिए शिक्षा का ना होना भी एक समस्या हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में कई बार मंत्री रहे बलराम यादव ने इस विधानसभा क्षेत्र में सड़कों पर तो काम कराया लेकिन आज भी उनके गांव के अलावा अगल बगल की सड़कों पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया जिससे लोगों में नाराजगी है। 

कुछ यूं है मतदाताओं की गणित
अब बात करते हैं यहां के मतदाताओं की अतरौलिया विधानसभा में कुल 375593 मतदाता हैं जिनमें 181644 महिला मतदाता और 193945 पुरुष मतदाता हैं। इस बार अतरौलिया विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी और निषाद पार्टी के गठबंधन के कारण यह सिर्फ निषाद पार्टी के खाते में गई है। निषाद पार्टी यहां प्रशांत सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया है चुकी अतरौलिया विधानसभा में मल्लाह लोगों की संख्या अच्छी खासी है लिहाजा इस बार यह लड़ाई भी अच्छी देखने को मिल सकती है वहीं दूसरी तरफ अतरौलिया विधानसभा में समय मतदाताओं की संख्या पर्याप्त है और ऐसा माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी इस सीट ऐसे ही किसी प्रत्याशी को मैदान में उतारने का काम करेगी। यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर यहां तीनों पार्टियों के बीच जबरदस्त लड़ाई देखने को मिलेगी। 

पा के वोटर की ही सुनते हैं  बात
ज्यादातर फॉरवर्ड लोगों का यह आरोप भी रहता है कि बलराम यादव और उनके पुत्र संग्राम यादव उनकी नहीं सुनते जबकि वह केवल समाजवादी पार्टी के बेस मतदाताओं की ही बात सुनते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बलराम यादव के पुत्र संग्राम यादव ने मात्र 2200वोट से अपनी जीत दर्ज की थी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत या हार का अंतर क्या होगा यह देखने लायक रहेगा। क्योंकि इस बार कई मतदाता ऐसे भी रहेंगे जिन्होंने पिछले 5 सालों में सरकार की कई योजनाओं का लाभ उठाया ऐसे में यदि उन मतदाताओं का कुछ प्रतिशत भी बीजेपी में कन्वर्ट होता है तो वह यहां के समीकरण को बिगाड़ सकता है। 

बात अगर पिछले 40 सालों की करें तो यह समाजवादी पार्टी का ही विधायक होता रहा है केवल दो बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने अपना कब्जा जमाया था। वर्तमान समय में बलराम यादव समाजवादी पार्टी से एमएलसी भी हैं और उनके पुत्र डॉक्टर संग्राम यादव यहां से विधायक। 2022 के विधानसभा चुनाव के परिणाम मे इस सीट पर किसका कब्जा होता है यह तो बात की बात है लेकिन वर्तमान में जो हालात हैं उन हालातों को देखते हुए पिता और पुत्र दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। क्योंकि अगर यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में जाती है तो उनका दबदबा कायम रहेगा लेकिन यदि इस सीट पर किसी और पार्टी का कब्जा होता है तो यह बलराम यादव और डॉक्टर संग्राम यादव के रुतबे को कम कर सकता है।
 

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